Holi me chudi part 5

  किचेन से अबकी वो लौटीं तो उनके हाथ में एक बड़ा गिलास था…दूध के साथ साथ मोटी मलाई की लेयर. और ऊपर से जैसे कुछ हर्ब सी पड़ी हों ..मस्त महक आ र...


 किचेन से अबकी वो लौटीं तो उनके हाथ में एक बड़ा गिलास था…दूध के साथ साथ मोटी मलाई की लेयर. और ऊपर से जैसे कुछ हर्ब सी पड़ी हों ..मस्त महक आ रही थी. बगल के टेबल पे रख के पहले तो उन्होंने दरवाजा बंद किया और फिर मेरे बगल में आ के बैठ गयीं.

साडी तो उनकी लुंगी बनके मेरी देह पे थी. वो सिर्फ साए ब्लाउज में…और ब्लाउज भी एक दम लो कट …भरे भरे रसीले गोरे गुदाज गदराये जोबन छलकनें को बेताब ..
और अब तो चड्ढी का कवच भी नहीं था.. ‘वो’ एक दम फन फना के खडा हो गया.
भाभी एक दम सट के बैठी थीं

” दोनों को दूध दे दिया …पांच मिनट में एक दम अंटा गाफिल…सुबह तक की छुट्टी… ” भाभी का एक हाथ मेरे कंधे पे था और दूसरा मेरी जांघ पे…’ उसके ‘ एकदम पास. मेरे कान में वो फुसफुसा के बोल रही थीं. उनके होंठ मेरे इयर लोब्स को आलमोस्ट टच कर रहे थे. मस्ती के मारे मेरी हालत खराब थी.
” दोनों को सुलाने का दूध दिया…और मुझे.” दूध के भरे ग्लास की और इशारा कर के मैंने पूछा.
” जगाने का…” मेरी प्यासी निगाहें ब्लाउज से झांकते उनके क्लीवेज से चिपकीं थीं. और वो भी जान बूझ के अपने उभारों को और उभार रही थीं.
उन्होंने एक हल्का सा धक्का दिया और मैं पलंग पे लेट गया. साथ में वो भी और उन्होंने हलकी रजाई भी ओढ़ ली. हम दोनों रजाई के अंदर थे.
” तुम्हे मैं जितना अनादी समझती थी…तुम उतने अनाडी नहीं हो…” मेरे कान में वो फुसफुसायीं.
“तो कितना हूँ.” मैंने भी उन्हें पकड़ के कहा.
” उससे भी ज्यादा ..बहोत ज्यादा…अरे गुड्डी जब तुम्हारी चड्ढी पकड़ रही थी तो तुम्हे कुछ पकड़ धकड़ करनी चाहिए थी…उससे अपना हथियार पकड़वाना चाहिए था…उसकी झिझक भी खुलती शर्म भी खुलती और …मजा मिलता सो अलग…तुम्हें तो पटी पटाई लड़की के साथ भी ना…एक बार लड़की के पटने से कुछ नहीं होता…उसकी शर्म दूर करो…झिझक दूर करो…खुल के जितना बेशर्म बनाओगे उसे, उतना खुल के मजा मजा देगी.”
तो भाभी बना दो ना अनाडी से खिलाड़ी. ”
” अरे लाला ये तो तुम्हारे हाथ में है…फागुन का मौक़ा है…खुल के रगडो…एक बार झिझक चली जायेगी थोड़ी बेशरम बना दो. बस…मजे ही मजे तेरे भी उसके भी…तलवार तो बहोत मस्त है तुम्हारी तलवार बाजी भी जानते हो की नहीं. कभी किसी के साथ किया विया है या नहीं? ”
” नहीं, कभी नहीं…” मैंने धीरे से बोला.
” कोरे हो…तब तो तेरी नथ आज उतारनी ही पड़ेगी. ” चन्दा भाभी ने मुस्कराते हुए कहा. उनकी एक उंगली मेरे सीने पे टहल रही थी और मेरे निपल के पास आके रुक गयी. वहीँ थोड़ा जोर देके उसके चारों ओर घुमाने लगी. मजे के मारे मेरी हालत खराब थी. कुछ रुक के मैं बोला…
” आपने मुझे तो टापलेस कर दिया और खुद…”
” तो कर दो ना…मना किसने किया है. ” मुस्करा के वो बोलीं.
मेरी नौसिखिया उंगलियां कभी आगे कभी पीछे ब्लाउज के बटन ढूंढ रही थीं. लेकिन साथ साथ वो क्लीवेज के गहराईयों का भी रस ले रही थीं.
” क्यों लाला साड़ी रात तो तुम हुक ढूँढने में ही लगा दोगे…” भाभी ने छेड़ा. लेकिन मेरी उंगलियाँ भी उन्होंने ढूंढ ही लिया और चट..चट..चट..सारे हुक एक के बाद एक खुल गए.
” मान गए तुम्हारी बहनों ने कुछ तो सिखाया…” वो बोलीं.
कुछ झिझकते कुछ शर्माते कुछ घबराते …पहली बार मेरी उँगलियों ने उनके उरोजों को छुआ.
जैसे दहकते तवे पे किसी ने पानी की बूँदें छिड़क दी हों…मेरी उँगलियों के पोर दहक गए.
” इत्ते अनाड़ी भी नहीं हो..” हंस के बोली और मचली की तरह सरक के मेरी पकड़ से निकल गयीं. अब उनकी पीठ मेरी ओर थी. मैंने पीछे से ही उनके मदमाते गदराये उभार कास के ब्रा के ऊपर पकड़ लिया. मैं सोच रहा था शायद फ्रंट ओपन ब्रा होगी…लेकिन…तबतक उन्होंने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ के कैसे हैं..
” बहोत मस्त भाभी…” मैं दबा रहा था वो दबवा रहीं थीं. लेकिन मैं समझ गया था की इसमें भी उनकी चाल है. ब्रा का हुक पीछे था और वहां मेरा हाथ पहुँच नहीं सकता था. वो उनकी गिरफ्त में था.
कहतें है ना की शादी नहीं हुयी तो क्या बारात तो गए हैं….तो मैं अनाडी तो था…लेकिन इतनी किताबें पढ़ी थीं…फिल्में देखी थीं. मस्त राम के स्कूल का मैं मास्टर था.
मैंने होंठों से ही उनकी ब्रा का हुक खोल दिया…

मैंने होंठों से ही उनकी ब्रा का हुक खोल दिया…
और आगे मेरे दोनों हाथों ने कस के ब्रा के अन्दर हाथ डाल के उनके मस्त गदराये उभार दबोच लिए.
” लल्ला, तुम इत्ते अनाडी भी नहीं हो.” मुस्करा के वो बोलीं.
मेरी तो बोलने की हालत भी नहीं थी.
मेरे होंठ उनके केले के पत्ते ऐसे चिकनी पीठ पे टहल रहे थे. और दोनों हाथ मस्त जोबन का रस लूट रहे थे.
क्या उभार थे. एक दम कड़े कड़े, मेरी एक उंगली निपल के बेस पे पहुंची तभी मछली की तरह फिसल के वो मेरी बाँहों से निकल गयी.
और अगले ही पल वो ३६ डी डी उभार मेरे सीने से रगड़ खा रहे थे. चन्दा भाभी का एक हाथ मेरे सर को पकडे बालों में उंगली कर रहा था और दूसरा कस के मेरे नितम्बो को कस के पकडे था. मेरे कानों से रसीले होंठों को सटा के वो बोलीं, ” मेरा बस चले तो तुम्हे कच्चा खा जाऊं.”
” तो खा जाइए ना…” मैं भी सीने को उनके रसीले उभारों पे कस के रगड़ते बोला, ” तो खा जाओ ना. ”
मेरे होंठों पे एक हल्का सा चुम्बन लेती हुयी वो बोलीं… ” चलो एक किस ले के दिखाओ.”
मैंने हलके से एक किस ले ली.

” धत क्या लौंडिया की तरह किस कर रहे हो.” वो बोलीं फिर कहा, वैसे शर्मीली लडकी को पहली बार पटा रहे तो ऐसे ठीक है वरना थोड़ी हिम्मत से कस के …” और अगली बार और कस के उन्होंने मेरे होंठो पे होंठ रगड़े. जवाब में मैंने भी उन्हे उसी तरह किस किया. . भाभी ने मेरे लिप्स के बीच अपनी जुबान घुसा दी. मैं हलके से चूसने लगा.
थोड़ी देर में होंठों को छुडा के उन्होंने हल्के मेरे गाल को काट लिया और बोली..” क्यों देवर जी अब तो हो गयी ना मैं भी आप की तरह टापलेस…लेकिन किसी नए माल को करना हो तो इत्ती आसानी से चिड़िया जोबन पे हाथ नहीं रखने देगी. ”
” तो क्या करना चाहिए…” मैंने पूछा.
” थोड़ी देर उसका टॉप उठाने या ब्लाउज खोलने की कोशिश करो, और पूरी तरह से तुम्हे रोकने में लगी हो तो… उसी समय अचानक अपने बाएं हाथ से उसका नाडा खोलना शुरु कर दो. सब कुछ छोड़ के वो दोनों हाथों से तुम्हारा बायाँ हाथ पकड़ने की कोशश करेगी. बस तुरंत बिजली की तेजी से उसका टॉप या ब्लाउज खोल दो. जबतक वो सम्हले तुम्हारा हाथ उसके उभारों पे. और एक बार लडके का हाथ चूंची पे पड़ गया तो किस की औकात है जो मना कर दे …और ना यकीं हो तो इसी होली में वो जो तेरी बहन कम छिनार माल है उसके साथ ट्राई कर लो. ” भाभी ने कहा.
” अरे उसके साथ तो बाद में ट्राई करूंगा…लेकिन…” ये बोलते हुए मैंने उनके पेटी कोट का नाडा खींच लिया. वो क्यों पीछे रहतीं. मेरी साडी कम लुंगी भी उनके साए के साथ पलंग के नीचे थी.
” लेकिन तुम ट्राई करोगे उसे …ये तो मान गए.” हंसते हुए वो बोलीं. रजाई भी इस खीच तान में हम लोगों के ऊपर से हट चुकी थी. मेरे दोनों हाथ पकड़ के उन्होंने मेरे सर के नीचे रख दिया और मेरे ऊपर आ के बोलीं,
” अब तुम ऐसे ही रहना, चुपचाप. कुछ करने की उठाने की हाथ लगाने की कोशिश मत करना.”
मेरे तो वैसे ही होश उड़े थे. उनके दोनों उरोज मेरे होंठो से बस कुछ ही दूरी पे थे. मैंने उठने की कोशिश की तो उन्होंने मुझे धक्का देके नीचे कर दिया. हाथ लगाने की तो मनाही ही थी. सर उठाके मेनन अपने होंठो से उन रसभरी गोलाइयों को छुना चाहता था…लेकिन जैसे ही मैं सर उठाता वो उसे थोडा और ऊपर उठा लेतीं, बस मुश्किल से एक इंच दूर. और जैसे ही मैं सर नीचे ले आता वो पास आ जातीं. जैसे कोई पेड़ खुद अपनी शाखें झुका के …एक बार वो हटा ही रही थीं की मैंने जीभ निकाल के उनके निपल्स को चूम लिया. कम से कम एक इंच के कड़े कड़े निपल..
” ये है पहला पाठ..तुम्हारे पास तुम्हारे तलवार के अलावा …तुम्हारी उंगलियाँ हैं, जीभ है, बहोत कुछ है जिससे तुम लड़की को पिघला सकते हो. बस अन्दर घुसाने के पहले ही उसे ही उसे पागल बना दो…वो खुद ही कहे डाल दो. डाल दो .” भाभी बोलीं
और इसके साथ ही थोडा और नीचे फिसल के…अब उनके उरोज मेरे सीने पे रगड़ रहे थे, कस कस के दबा रहे थे. बालिश्त भर की मेरी कुतुबमीनार उनके पेट से लड़ रही थी. वो जोबन जो ब्लाउज के अन्दर से आग लगा रहे थे…मेरी देह पे …जांघ पे…और जो मैं सोच नहीं सकता था…मेरे तानातानाये हथियार को उन्होंने अपनी चून्चियों के बीच दबा दिया और आगे पीछे करने लगी. मुझे लगा की मैं अब गया तब गया तब तक भाभी की आवाज ने मेरा ध्यान तोड़ा…
” हे खबरदार जो झडे…ना मैं मिलूंगी ना वो…” मैं बिचारा क्या करता. भाभी ने एक हाथ से मेरे चरम दंड को पकड़ने की कोशिश की…लेकिन वो मुस्टंडा…बहोत मोटा था..उन्होंने पकड़ के उसे खींचा तो मेरा लाल गुलाबी मोटा सुपाडा…खूब मोटा …बाहर निकल आया. मस्त …गुस्स्सैल..मेरा मन का रहा था भाभी इसे बस अपने अंदर ले लें. लेकिन वो तो…उन्होंने अपना कडा निपल पहले तो सुपाडे पे रगडा और फिर मेरे सीधे पी होल पे…मुझे लगा जोर का झटका जोर से लगा. उनका निपल थोड़ी देर उसे छेड़ता रहा फिर उनकी जीभ के टिप ने वो जगह ले ली. मैं कमर उछाल रहा था…जोर जोर से पलंग पे चूतड पटक रहा था और भाभी ने फिर एक झटके में पूरा सुपाडा गप्प कर लिया. पहली बार मुलायम रसीले होंठों का वहां छुवन…लग रहा था बस जान गई…
” भाभी मुझे भी तो अपने वहां …”
” लो देवर जी तुम भी क्या कहोगे…” और थोड़ी देर में हम लोग ६९ की पोज में थे.
लेकिन मैं नौसिखिया. पहली बार मुझे लगा किताब और असल में जमीं आसमान का अन्तर है…

लेकिन मैं नौसिखिया. पहली बार मुझे लगा किताब और असल में जमीं आसमान का अन्तर है…
मेरे समझ में ही नहीं आ रहा था की कहाँ होंठ लगाऊं,कहाँ जीभ. पहली बार योनी देवी से मुलाक़ात का मौका था. कितना सोचता था की…
लेकिन चन्दा भाभी भी कुछ बिना बताये…खुद अपनी जांघे सरका के सीधे मेरे मुंह पे सेंटर कर के और कुछ समझा के …..क्या स्वाद था…एक बार जुबान को स्वाद लगा तो,… पहले तो मैंने छोटे छोटे किस लिए…और फिर हलके से जीभ से झुरमुट के बीच रसीले होंठों पे…चन्दा भाभी भी सिसकियाँ भरने लगी. लेकिन दूसरी ओर मेरी हालत भी कम खराब नहीं थी.
वो कभी कस के चूसतीं कभी, बस हलके हलके सारा बाहर निकाल के जुबान से सुपाडे को सहलातीं…और उनका हाथ भी खाली नहीं बैठा था…वो मेरे बाल्स को छू रहीं थीं, छेड़ रही थीं, और साथ में उनकी लम्बी उंगलियाँ शरारत से मेरे पीछे वाले छेद पे कभी सहला देतीं तो कभी दबा के बस लगता अन्दर ठेल देंगी…और जब मेरा ध्यान उधर जाता तो एक झटके में ही ३/४ अन्दर गप्प कर लेतीं, और फिर तो एक साथ, उनके होंठ कस कस के चूसते, जीभ चाटती चूमती और थोड़ी देर में जब मुझे लगता की बस मैं कगार पे पहुंच गया हूँ …भाभी अब ना रूके…तो वो रुक जातीं..और ‘उसको’ पूरी तरह से बाहर निकाल के मुझे चिढ़ाती,
“गन्ना तो तुम्हारा बहोत मीठा है किससे किससे चुसवाया. ”
जवाब मैं मैं कस कस के उनकी ‘सहेली’ को चूसने लगता और वो भी सिसकियाँ भरने लगतीं. तीन चार बार मुझे किनारे पे ले जा के वो रुक गयीं. हर बार मुझे लगता बस अब हो जाने दें लेकिन…
अचानक भाभी मुझे छोड़ के उठा गयीं और मेरे पैरों के बीच में जा के बैठ गयीं. मुझे पुश करके बेड के बोर्ड के सहारे बैठा दिया और ‘उसे’ अपनी मुट्ठी में कस के पकड़ लिया. मस्ती के मारे मैंने आँखें बंद कर लीं. आगे पीछे हिलाते हुए उन्होंने पूछा,
” क्यों ६१-६२ करते हो…”
मैं चुप रहा.
उन्होंने एक झटके में सुपाडे को खोल दिया और फिर से पूछा…बोलो ना.
” नहीं…हाँ…कभी..कभी..”
” किसका नाम ले के …कल जिसको ले जाओगे उस को…देखो तुम्हे देवर बनाया है मुझसे कुछ मत छिपाओ फायदे में रहोगे. ” भाभी बोली.
‘ नहीं …हाँ….”
आगे पीछे जोर से करते हुए उन्होंने फिर से पुछा …
” नहीं ..कभी नहीं..” फिर मेरे मुंह से सच निकल ही गया…” हाँ ..एक दो बार…”
” साल्ले..तेरी बहन की फुद्दी मारूं…तेरे अन्दर बहनचोद बनने के पूरे लक्षण हैं.” फिर कुछ रुक के मुझे देखते हुए उन्होंने कहा…
” अब आगे से ६१-६२ मत करना….अरे मैं सिखा दूंगी तुम्हे सब ट्रिक…तेरे लिए लौंडियों की क्या कमी है ..एक तो है ही जिसको तुंने पटा लिया है…फिर वो तेरा घर का माल..इत्ता मस्त हथियार तो सिर्फ…आगे पीछे…मुह में जहाँ चाहे वहां…बोलो झाड दूँ…”
” हाँ …भाभी हां,…” मस्ती से मेरी हालत ख़राब थी.
उन्होंने झुक के मेरे गुलाबी मस्त सुपाडे पे एक कस के चुम्मी ली और फिर एक झटके में उसे गप्प कर लिया. उनके दोनों हाथ भी साथ साथ…एक मेरे जांघ पे फिसलता तो दूसरा मेरे सीने को सहलाता हुआ कभी मेरे निपल को फ्लिक कर देता तो कभी वहां कस के चिकोटी काट लेता. उनकी जुबान गोल गोल मेरे सुपाडे के चारो ओर घूम रही थी, फिसल रही थी. मैं मस्ती के मारे अपनी कमर उछाल रहा था. भाभी ने फिर एक मोटा तकिया ले के मेरे चूतड के नीचे अन्दर तक सरका के रख दिया. अपने लम्बे नाखूनों से एक दो बार मेरे निपल फ्लिक करने और कस कस के पिंच कर के उन्होंने उसे छोड़ दिया और मेरे पिछवाड़े की ओर….कभी उनका मोटा अंगूठा…वहां दबाता तो कभी वो एक साथ दो उंगलिया एक साथ मेरे नितम्बों के बीच छेद पे इस तरह दबाती की पूरा घुसेड के ही मानेंगी. अब तक दो तिहाई हिस्सा उन्होंने गड़प कर लिया था और कस कस के चूस रही थीं. मैं मस्ती के मारे ना जाने क्या क्या बोल रहा था …मुझे लग रहा था अब गया तब गया…ये भी लग रहा था की कहीं भाभी के मुहं के अन्दर ही ना…तब तक उन्होंने पूरा बाहर निकाल लिया और मेरी आँखों में आँखे डाल के पूछा..
” क्यों आया मजा…”
” हाँ भाभी लेकिन …” मैं आगे बोलता की भाभी ने वो किया की मेरी चीख निकल गई.
उन्होने अपने कड़े खड़े निपल को मेरे सुपाडे के छेद पे रगड़ दिया. वो उसे मेरे पी होल के अंदर डाल रही थीं और उनकी मुस्कारती आँखे मेरे मजे से पागल चहरे को देख रही थीं. थोड़ी देर इसी तरह छेड़ कर उन्होंने साइड से मेरे खड़े चर्म दंड को चाटना शुरू कर दिया. चारो और से उनकी जीभ लप लप चाट रही थी…ये एक नए ढंग का मजा था. उन्होंने एक हाथ से मेरे बाल्स को पकड़ रखा था. उनकी जुबान जहां से मेरा शिश्नबाल से मिलता है वही से शुरू हो कर से मिलता है वही से शुरू हो कर सीधे सुपाडे तक…और फिर वहाँ से नीचे..वापस…और दो चार बार ऐसे कर के जब उनकी जीभ नीचे गयी तो बजाय ऊपर आने के …एक बार में उसने मेरी बाल गडप कर ली. मेरी तो जान निकल गयी. कुछ देर तक चूसने चुभलाने के बाद के बाद भाभी के होंठ वापस मेरे सुपाडे पे आये और आँख नचा के वो मुझे देखते हुए बोलीं,
” जरुर चुसवाना उससे…दोनों से ” और जब तक मैं कुछ बोलता समझता …उन्होंने अबकी पूरा ही गड़प कर लिया.
और अब वो पूरे जोर से चूस रही थीं. मेरा सुपाडा उनके गले के अंत तक जा के टकरा रहा था…लेकिन जैस उन्हें कोई फरक ना पड़ रहा हो. उनके रसीले भरे भरे होंठ जब रगड़ते हुए ऊपर नीचे होते..और वो कस के चूसतीं..मेरी कमर साथ साथ ऊपर नीचे हो रही थी. वो करती रहीं करती रहीं…मुझे लगा की अब मैं …निकल ही जाउंगा….लेकिन मुझे लगा की कहीं भाभी के मुंह में ही…मैं जोर से बोला…
” भाभी प्लीज छोड़ दीजिये…बाहर निकाल लीजिये…मेरा होने ही वाला… ओह्ह …”
उन्होंने अपनी दोनों बाहों से कस के मेरी जांघो को पकड़ के नीचे दबा दिया और मेरी ओर देख के आँखों ही आँखों में मुस्करायीं जैसे कह रही हों….होने वाला हो तो हो जाय..और फिर दूनी तेजी se कस कस के चूसने लगीं.
मुझे लगा की मेरी आँखों के आगे तारे नाच रहे हों…मेरी देह का सब कुछ निकल रहा हो..ओह्ह ओघ्ह आह…भाभीइ इ इ ….मेरी आवाज जोर से निकल रही थी. लेकिन वो और जोर से चूस रही थीं..और जैसे कोई जोर का फव्वारा छूटे…मेरी कमर अपने आप बार बार ऊपर नीचे हो रही थी…और भाभी बिना रुके…मेरा पूरा लिंग उनके मुंह में था…उनके होंठ मेरे बाल से चिपके थे…
मुझे पता नहीं चला मैं कित्ती देर तक झडा…लेकिन जैसे ही मैं रुका …भाभी ने पहले हलके से फिर कस के मेरी बाल दबाया और दूसरे हाथ se मेरी गांड के छेद में उगली दबाई…
ओह्ह्ह …ओह्ह…..मैं दुबारा झड रहा था. आज तक ऐसा नहीं हुआ था.

जब थोड़ी देर में तूफान ठंडा हो गया तभी भाभी ने अपना मुंह हटाया. दो चार बूँद जो बाहर गिर पड़ी थीं उसे भी समेट के उन्होंने अपने होंठों पे लगा लिया और फिर मेरे पास आके लेट गयीं. हम दोनों के सर बगल में थे. मैं कुछ बोलने की हालत में नहीं था.
चन्दा भाभी ने अपने हाथ के जोर से मेरा मुंह खुलवाया और अपने होंठ मेरे होंठ से चिपका दिए. जब तक मैं कुछ समझूँ ..थोड़ी सी मलाई मेरे मुंह में भी…उन्होंने अपनी जुबान भी मेरे मुंह में दाल दी. थोड़ी देर तक हम लोग ऐसे ही किस करते रहे. फिर अपने होंठ हटा के मेरी आँखों में झांक के बोलीं,
” अरे थोड़ी सी मलाई तुम्हे भी खिला दी वरना कहते की भाभी ने सारी अकेले अकेले गप्प कर ली. वैसे थी बहोत मजेदार. खूब गाढी, थक्केदार…”
बहोत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाहों में लेटे रहे. बाते करते रहे. वो मुझे बताती रही समझाती रहीं..क्या कैसे..लेकिन चंदा भाभी …उनकी …शरारते.. उनके गुदाज उभार एक बार फिर मेरे सीने से रगडने लगे ..उनकी जांघे मेरे सोये शेर को जगाने लगीं और जैसे ही वो कुन्मुनाने लगा भाभी बोलीं..
” तुम्हे दूध तो पिलाया ही नहीं….” और उठ के खडी हो गयीँ.
दूध का ग्लास ऊपर तक भरा था और कम से कम तीन अंगुल गाढी मोटी मलाई..
‘ बच्चो की तरह दूध पियोगे या बडों की तरह.”

दूध का ग्लास ऊपर तक भरा था और कम से कम तीन अंगुल गाढी मोटी मलाई..
‘ बच्चो की तरह दूध पियोगे या बडों की तरह.” भाभी ने जिस अम्दाज से पूछा, मैं समझ गया कि इसमें कुछ पेंच है.मैं कुछ बोलता उसके पहले ही वो बोल उठीँ,
” अरे मेरे लिए तो तुम बच्चे ही हो. ” उन्होंने एक उंगली से मोटी सी मलाई निकाली और मुझे ललचा के अपने निपल पर लपेट दी. ” चाहिए’ वो अपने जोबन को और उभार के अदा से बोली.
” हाँ.”
” क्या…” आँख नचा के शरारत से भाभी ने पुछा.
” वही…” मैं रुकते रुकते बोला.
” वही क्या…” भाभी की एक उंगली कड़े निपल को सहला रही थी. ” नाम बताओ…ऐसे ही थोड़े मिलेगा. ”
” मलाई …” मैं भी शरारत के मूड में था.
” सिर्फ मलाई या..” उनकी अंगुली जो निपल पर थी वो अब वहां लगी मलाई को मेरे होंठों पे उसे लिथेड़ रही थी.
” नहीं वो भी…आपका सीना…जोबन…”
” अरे साफ साफ बोलो लाला…ऐसे लौंडियों की तरह शरमाओगे तो तुम माल पटाओगे, और भरतपुर कोई और लूट के चला जाएगा. बोलो ना जैसे मैं मैं बोलती हूँ…” भाभी बोली.
” चूंची …आपकी चूंची…” मैं हकलाते हुए बोला.
” हाँ ये हुयी ना मेरे देवर वाली बात लेकिन ऐसे थोड़े ही मिलेगा…कुछ इसकी तारीफ़ करो…वो भी खुल के..” उन्होंने उकसाया. ”
” भाभी आपकी ये रसीली मस्त गदराई चूंची…जिसको देख के ही मेरा खड़ा हो जाता है…”
” क्या खड़ा हो जाता है…तुम .ना ..साफ साफ बोलो वरना तड़पते रह जाओगे…” हंस के वो बोली.
” मेरा वो…..मेरा…मेरा लिंग…लंड.”
” देखूं तो खड़ा हुआ है या वैसे ही बोल रहे हो…” झुक के देखते हुए वो बोलीं.
मुझे भी यकीं नहीं हुआ. ‘वो’ टनाटन था.
” चलो मान गयी…अब मुंह खोलो…तो खिलाती हूँ…”
मैंने खूब बड़ा सा खोल दिया.
” खोलने के मामले मैं तुम अपने मायकेवालियोन की तरह हो…लो घोंटो” मलाई से लिपटी चूंची उन्होंने मेरे मुंह में डाल दी.लो घोंटो” मलाई से लिपटी चूंची उन्होंने मेरे मुंह में डाल दी. ” ये सांडे का तेल है और वो नहीं जो तुमने मजमे वालों के पास देखा होगा…” हंस के वो बोलीं.
भाभी की बात सही थी. मैंने कित्ती बार मजमें वालों के पास देखा था बचपन में, दोस्तों से सुना भी था… लोहे की तरह कड़ा हो जाता है..खम्भे पे मारो तो बोलेगा टन्न.
तेल मलते हुए भाभी बोलीं, ” देवर जी ये असली सांडे का तेल है…अफ्रीकन..मुश्किल से मिलता है. इसका असर मैं देख चुकी हूँ..ये दुबई से लाये थे दो बाटल. केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कडियल नाग है. ”
मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है.
चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उँगलियों से मालिश करने लगीं. जोश के मारे मेरी हालत ख़राब हो रही थी.
” भाभी करने दीजिये न…बहोत मन कर रहा है…और…कब तक असर रहेगा इस तेल का. .”
” अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लुंगी..बस थोड़ा देर रुको…हाँ इस का असर कम से कम पांच छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है. मोटाई भी बढती है और कडापन भी…” भाभी बोलीं.
भाभी ने वो बोतल बंद कर के दूसरी ओर रख दी और दूसरी छोटी बोतल उठा ली. जैसे उन्होंने बोतल खोली मैं समझ गया की सरसों का तेल है. उन्होंने खोल के दो चार बूंदे सीधे मेरे सुपाडे के छेद पे पहले डालीं. मजे से मैं गिनगिना गया.
” क्यों बचपन में तो ऐसे ही पड़ता रहा होगा ना. याद आया…वैसे तो मुझे किसी चिकने की जरुरत नहीं पड़ती लेकिन तुम्हारा आदमी की जगह गधे , घोड़े का लगता है…इसलिए. मैं वैसलीन की जगह सरसों का तेल ही लगाती हूँ…लेकिन किसी लड़की के साथ ..कच्ची कली के साथ तो पहले तो गीला करना अच्छी तरह से …फिर खूब वैसलीन चुपड के उंगली करना. अपने लंड में भी खूब वैस्लीन मल लेना. हाँ एक बात और तुम एक काम करो…अपना सुपाडा कभी कवर मत करना. इसको खुला ही रखना.
क्यों भाभी, ” मैंने उत्सकुता से पूछा.
पूरे सुपाडे पे तेल लगाते हुए वो बोली, ” अरे देवर जी, आपको आम खाने से मतलब या…यही सब तो ट्रिक हैं असली मर्द बनने के…आप भी क्या याद करियेगा कि कोई सिखाने वाली मिली थी. अरे पठान के…कया ख़ास बात होती है…खुला रहने से बचपन से रगड़ खा खा के..वो ऐसा सुन्न हो जाता है कि बस.. तो जल्दी झड़ने का खतरा खत्म हो जाता है. और औरत क्या चाहती है कि मर्द खूब रगड़ के अच्छी तरह , देर तक चोदे, ये नहीं की बस .घुसेड़ा, निकाला और कहानी ख़तम. जो मरद औरत को झाड के झडे, वो असली मर्द. तो अगर इसको ढकोगे नहीं तो तुम्हारे कपडे से रगड़ खा खा के ये भी samjh गए और हाँ अगर तुम मुझ से पहले गए तो समझ लेना…”
तेल की दोनों बोतल बंद करके वो टेबल पर रख चुकी थीं…
” भाभी …प्लीज…” मेरी आँखे गुहार लगा रही थीं.
” चल ठीक है तू भी क्या याद करेगा होली का मौका है तो आज देवर भाभी की होली हो जाये…बस याद रखना की तुम बस ऐसे ही लेटे रहना उठने कि कोशिस भी मत करना. ”
मैंने वोमन ऑन टाप की कयी कहानियाँ पढी थी, फोटुये और फिल्मे भी देखी थी, लेकिन वो सीन..चंदा भाभी पर वो जोबन था…नाईट लैंप की हल्की नीली रोशनी में..लंबे लंबे बाल, सिंदूर से सजी माँग.. बड़ी बड़ी कजरारी आंखे, गले में नेकलेस जिसका पेंडेंट उनके गदराये मस्त जोबन के बीच लटकता हुआ…खूब बडे बड़े लेकिन एक दम कड़ी मस्त चूंचिया..गोरी गोरी चिकनी जांघेँ…और उस के बीच काली झुरमूट…
भाभी मेरे ऊपर आ गयी थी. उनकी फैली हुयी जांघोँ के बीच,
क्यों ले लू इसे अपने अन्दर…” हंस के अपनी नशीली आँखें मेरी आंखों में डाल के वो बोली.
” एक दम ” मैंने भी हंस के जवाब दिया. बेचैनी से मेरी हालत खराब थी.

भाभी मेरे ऊपर आ गयी थी. उनकी फैली हुयी जांघोँ के बीच,
” क्यों ले लू इसे अपने अन्दर…” हंस के अपनी नशीली आँखें मेरी आंखों में डाल के वो बोली.

” एक दम ” मैंने भी हंस के जवाब दिया. बेचैनी से मेरी हालत खराब थी.
उनका जन्नत का ख़जाना मेरे ‘उससे’ टच कर रहा था. बता नहीं सकता वो पहली बार का स्पर्श…भाभी रुक गयी थी.
मैं बेताब हो रहा था. मैंने अपनी कमर उचकायी की ..
” मना किया था ना की हिलोगे नहीं…बदमाश…” भाभी ने आँखे तरेरीं.
मैं एकदम रुक गया. भाभी मुस्कराने लगीं और उन्होंने कमर थोड़ी और नीची की. अपने हाथों से उनहोने अपने निचले होंठों को थोड़ा फैलाया..और मेरा सुपाडा उनकी चूत के अंदर…उन्होंने मेरे जंधे पकड़ के एक और धक्का दिया…और बोलीं…
” अब मैं मर्द हूँ और तुम औरत…वैसे भी कल तुम्ही होली में अच्छी तरह से ..चुदवाओ ठीक से बोल…आ रहा है मजा…”और इसके साथ उन्होंने एक जबर्दस्त धक्का मारा.
सुपाडा पूरी तरह उनकी चूत के गिरफ्त में था. दोनों कन्धों पर जो उनका हाथ था वो सरक के मेरी छाती तक आ चूका था. जैसे कोई किशोरी के नए जोबन को सहलाए…वो उसी तरह ..
मैं चाह रहा था की भाभी जल्दी से पूरा अन्दर ले लें पर वो तो…उन्होंने कस के सुपाडे को अपनी चूत से कस कस के भींचना शुरू कर दिया. साथ ही उनके एक हाथ ने मेरे एक निपल को कस के पिंच कर लिया. उनके लम्बे नाखून वहां निशाना बना रहे थे.
अब मुझ से नहीं रहा गया. मैंने कस के अपने दोनों हाथो से उनके झुके हुए मस्त रसीले जोअबं पकड़ लिए और कस कस के दबाने लगा.
जवाब में भाभी ने एक जोर का धकका मारा और आधा लंड अन्दर चला गया. लेकिन अब वो रुक गयीं.
वो गोल गोल अपनी कमर घुमा रही थीं.
अब मुझसे नहीं रहा गया. मैंने उनकी कमर कस के पकड़ी और नीचे से जोर का धक्का मारा. साथ ही मैंने अपने हाथ से उनकी कमर पकड़ के नीचे की ओर खिंचा.
अब बजी थोड़ी सी मेरे हाथ में थी. भाभी सिसकियाँ भर रही थीं. ओर मेरा लंड सरक सरक के ओर उनकी चूत में घूस रहा था.
” तुम ना …बदमाश कल अगर तुम्हारी…” लेकिन भाभी की बात बीच में रह गयी क्योंकि मैंने कस के उनकी क्लिट दबा दी ओर वो जोर से सिसकी भरने लगी..”
” साल्ले …बहन चोद..मेरी सीख मेरे ही ऊपर तेरे सारे खानदान की फुद्दी मारू. ” ओर फुल स्पीड चुदाई चालू हो गयी.
भाभी की चूंची मेरी छाती से रगड़ रही थी. मैंने कस को उनको बांहों में भींच रखा था. और उन्होंने भी कस के मुझे पकड़ रखा था. हचक के सटा सट…उपर नीचे…उपर नीचे…थोड़ी देर तक भाभी खुद पुश कर रही थीं और साथ में मैं…उनकी कमर पकड़ के…लेकिन कुछ देर बाद …उन्होंने जोर कम कर दिया और`मैं ही अपनी कमर उचका के उनकी कमर नीचे खींच के…चूतड उठा के अपना लंड उनकी चूत में सटा सट…थोड़ी देर बाद ऐसी ही जबरदस्त चुदाई के बाद ..

भाभी ने मेरे कान में कहा..
‘ सुनो …तुम अपनी टाँगें कस के मेरी पीठ पे पीछे बाँध लो. पूरी ताकत से…”
उस समय ‘मेरा’ पूरी तरह से भाभी के अन्दर पैबस्त था.
मैंने वही किया. भाभी ने भी कस के अपने हाथ मेरी पीठ के नीचे कर के बाँध लिए.
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था.तभी भाभी ने पलटी और …गाडी नाव के उपर.
” बस ऐसे ही रहो थोड़ी देर…” नीचे से भाभी बोलीं और उन्होंने कुछ ऐडजस्ट किया और मैं उनकी जाँघों के बीच..
भाभी मुझे देख के मुस्करा रही थीं. मैंने भाभी को पहले हलके से फिर पुरी ताकत से किस किया. उन्होंने भी उसी तरह जवाब दिया. मुझे भाभी की बात याद आई. थोड़ी ही देर में मेरा होंठ उनके एक निपल को कस के चूस रहा था और दूसरा निपल मेरी उँगलियों के बीच था. धक्कों की रफ्तार मैंने कम कर दी थी. भाभी मस्त सिसकियाँ भर रही थीं. कुछ देर baad ही वो चूतड उचाकने लगीं,
” करो ना देवर जी…और जोर से करो बह्होत मजा आ रहा है….ओह्ह ओह्ह
भाभी सिसक रही थीं बोल रही थीं…
मैं कौन होता था अपनी इस मस्त भाभी को मना करने वाला.मैंने पूरी तेजी से कमर चलानी शुरू कर दी. इंजन के पिस्टन की तरह…भाभी ने पाने हाथों से मेरे चूतड कस के पकड़ रखे थे…मस्त गालियाँ ..चीखे…
” साल्ले रुके तो तेरी गांड मार लुंगी…कल पूरी पिचकारी तेरी गांड फैला के पेल दूँगी. बहन छोड़…तेरी बहन को मेरे सारे देवर चोदें…बहोत्त मजा…हाँ …”
और भाभी ने फिर पोज बदल दिया. वो मेरी गोद में थीं. उनकी फैली जांघे मेरी कमर के चारो ओर…चून्चिया मेरे सीने से रगड़ती, मैं अब हलके हलके धक्के मार रहा था. साथ में हम लोग बातें भी कर रहे थे…

” सीख तो तुम ठीक रहे हो…अपने मायके जा के उस छिनाल ननद के साथ प्रेकटिस करना एक दम पक्के हो जाओगे.” भाभी ने चिढाया.
” गुरु तो आप ही हैं भाभी…”
भाभी कभी मेरे कान में अपनी जीभ डाल देती, कभी हलके से मेरे होंठ काट लेतीं और एक baar उन्होंने मेरे निपल को कस के बाईट का लिया.
मैं क्यों पीछे रहता. मैंने ध्यान से सब सुना था और पढ़ा और फिल्मने देखी थीं सो अलग. मैंने दोतरफा हमला एक साथ किया.
मैंने होंठों से पहले तो कस के उनके निपल फ्लिक करना फिर चूसना शुरू किया और निपल हलके से काट लिए. एक हाथ जोबन मर्दन में लगा था. दूसरे हाथ को मैं नीचे ले गया और पहले तो हलके हलके फिर जोर से उनके क्लिट को रगडने लगा. भाभी झाड़ने के कगार पे पहुंच गयीं लेकिन वो मेरी ट्रिक समझ गयीं. उन्होंने धक्का देके मुझे गिरा दिया और फिर मेरे उपर आ गयीं.
” बदमाश हरामी, बहनचोद…बहन के भंड्वे, तेरी बहन को कोठे पे बैठाउं…मेरी सीख मुझी पे…” और कस कस के धक्के लगाने लगी. एक हाथ उनका मेरे निपल पे तू दूसरा मेरे पीछे गांड के छेद पे…मैं भी उसी तरह जवाब दे रहा था. हम लोग धकापेल चुदाई कर रहे थे. मैं बस अब रुकना नहीं चाहता था. मेरे हाथ कभी उनकी चूंची पे कभी क्लिट पे …मेरा लंड अब बिना रुले अन्दर बहार हो रहा था…भाभी की चूत कस कस के मेरे लंड को निचोड़ने लगी…और भाभी बोल रही थीं…
‘ ओह्ह्ह आःह हाँआ …ओह्ह्ह्ह ..नहिनीईइ मैन्न्न्न…” मुझे लग रहा था की मैं अब गया तब गया…लेकिन भाभी निढाल हो गयीं…उनके धक्के रुक गए…लेकिन उनकी चूत कस कस के सिकोड़ती रही …निचोड़ती रही …और मैं भी….
लगा मेरी जान निकल जायेगी…पूरी देह से,,,आँखे बंद हो गयी मैं कमर हिला रहा था…जैसे कोई फव्वारा फूटे…मेरी देह शिथिल पड़ गयी थी. भाभी मेरे उपर लेटी थीं. थोड़ी देर तक हम दोनों लम्बी लम्बी साँसे लेते रहे. भाभी ही उठीं. और फिर मेरे बगल में लेट गयीं. थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे बाहों में भर के एक जबर्दस्त किस कर लिया.
मुझे जवाब मिल गया था की मैं इम्तेहान मैं पास हो गया,

बाहर जबर्दस्त होली के गाने चल रहे थे.
नकबेसर कागा लै भागा…मोरा सैयां अभागा ना जागा..
अरे अरे उड़ उड़ कागा चोलिया पे बैठा जुबना के… अरे जुबना के सब रस ले भागा..
थोड़ी देर हम लोग एक दूसरे को कस के पकड़ के लेते थे. मैं धीरे धीरे उनके बाल सहला रहा था. मेरी एक उंगली उनके गालों पे फिर रही थी.
चन्दा भाभी भी मेरे पीठ पे हलके हलके हाथ फिरा रही थीं.
फिर बातें शुरू हुयीं. चन्दा भाभी ने …कुछ इधर उधर की फिर कुछ और ट्रिक्स…
खोद खोद के चन्दा भाभी ने सब कुछ पूछ लिया, मैं इतना शरमीला कैसे हूँ. मैंने बता दिया की साथ के लड़कों में मैं अकेला था जिस ने आज तक ‘कुछ नहीं’ किया था. जयादातर लड़कों ने तो १८-१९ साल की उम्र में ही….और मोस्टली ने तो कम से कम पांच छ के साथ ….दो चार ने तो कजिन के साथ. ही .गर्ल फ्रेंड तो आल मोस्ट सबकी थीं.
” अरे तो तुम ने क्यों नहीं…” चंदा भाभी ने पुछा.
” पता नहीं..मन तो बहोत करता था..लेकिन कुछ शर्माता था…कुछ डर की कहीं लड़की मन ना कर दे…और कुछ बदनामी का डर..पहली बार मैंने अपने मन की बात किसी को बतायी.चंदा भाभी की उंगली मेरे पीठ के निचले हिस्से पे, मेरे नितम्बो की दरार के ठीक ऊपर सहला रही थी.
” चल कोई बात नहीं …अब तो…अरे यार यही तो उम्र होती है…पढ़ाई पूरी हो गयी…इत्ती अच्छी नौकरी मिल गई..अभी शादी नहीं हुयी…तुम इत्ते लम्बे चौड़े हो…सब कुछ एक दम…” और ये कहते हुए उनकी एक हाथ की उंगली मेरे निपल पे पहुँच गयी और पीठ वाली नितम्बो के दरार में.
‘ वो’ कुनमुनाने लगा.
फिर उन्होंने गुड्डी के बारे में सब कुछ पूछ लिया…पहली बार पिक्चर हाल में से ले के…आज तक…
” तुम ना बुद्धू हो…अरे जब पेड़ की दाल पे कोई फल पक जाय और उसे कोई ना तोड़े तो क्या होगा…” भाभी बोलीं.
” वो गिर जाएगा..और फिर कोई भी उठा के ले जाएगा…’ मैं बोला.
” एक दम वो तो एकदम तैयार थी…वो तो तुम्हारी किस्मत अच्छी थी की किसी और ने…अब तो तुम्हारी जगह होता तो कब तक का.. ” भाभी ने प्यार से समझाया.
” मैं सोच रहा था की vo अभी १०वि में पदाहती है उसे कुछ मालूम नहीं होगा. फिर कहीं वह भाभी को शिकायत कर दे तो…वैसे वो है बहोत अच्छी ” मैंने अपनी मन की बात बताई.
भाभी ने मेरे कान की लर पे एक छोटी सी किस्सी ले ली और बोलीं…
” अरे बुद्धू..उससे छोटे उसके कित्ते भाई बहन हैं…”
” चार..” मैं बिना समझे बोला.
” तो ..सोचो ना…तो क्या उसकी मम्मी के बिना चुदवाये …और तुमने तो देखा ही है पहले वह लोग एक कमरे में रहते थे.,..उसने बचपन से कितनी बार अपने मम्मी पापा को करते देखा होगा…और मैं जानती हों ना उसकी मम्मी को …कितनी बार दिन दहाड़े..फिर लड़कियाँ तो…कितनी खुली बाते सब लोग करते हैं आपस में और वो तो गावं शहर दोनों की है…गावं में तो शादी ब्याह में..गन्ने के खेत में…लड़कियां बह्होत जल्दी तैयार हो जाती हैं..लेकिन एक बात गांठ बाँध लो…”
“क्या,,,” मैं बड़ी उत्सुकता से भाभी की एक एक बात सुन रहा था.
“किसी भी कुँवारी लड़की को पहली बार मजा नहीं आता. जो तुम ने कहानियों में पढ़ा होगा . सब गलत है. मन उसका जरुर करता है, सहेली की बातें सुन के भाभी की छेड़ खानी से.. इसलिए …”
” बताइये ना फिर क्या करना चाहिए…” मैं बेताब हो रहा था.
” अरे बोलने तो दे..”भाभी बोलीं ..” पहली बार उसे दर्द होगा…लेकिन ये दर्द सबको होता है…वह पहली लड़की तो होगी नहीं जिसकी फटेगी..इसलिए उसे थोड़ा प्यार से समझाना चाहिए..मन्नना चहिये…और जब दर्द कम हो जाए तो उसे दूसरी बार जरुर चोदो…भले वह चीखे चिल्लाये ..थोड़ा गुस्सा हो…वरना पहली चुदाई का दर्द अगर उसके मन में बैठ गया…ना तो फिर उसे दुबारा राजी करना मुश्किल होगा. दुबारा करने पे ही उसे असल मजा मिलेगा. ज्यादातर लडके ही उसके बाद थक जाते हैं. थक तो वो भी जायेगी…लेकिन कुछ देर बाद अगर कोई…किसी तरह..लड़की को गरम करना उतना मुश्किल नहीं…तीसरी बार उसे चोद दे ना …फिर तो वो लड़की उसकी गुलाम हो जायेगी. जब भी उससे कहोगे खुद तैयार रहेगी. और कहीं तीन चार दिन कर दिया तो…फिर तो उसकी चूत में चींटे काटेंगे,…तुम नहीं चाहोगे…तो भी तुम्हारे पीछे पीछे आएगी…सबके सामने बिना किसी की परवाह किये…”
मैं आने वाले कल की रात के बारे में सोच रहा था…जब मैं उसे ले के अपने घर पहुंचूंगा.
” भाभी अगर किसी लड़की के वो वाले पांच दिन चल रहे हों…और जिस दिन ख़तम हो उस दिन मौका मिले तो….उस दिन करना ठीक होगा की नहीं.”मैंने भाभी से दिल की बात पूछ ही ली.
” अरे वो तो सबसे अच्छा है…उस दिन तो चूत को ऐसी भूख लगी रहती है. वो खुद राजी हो जायेगी…उस दिन तो छोड़ना…काम देव का अपमान करना है. बस पटक के चोद दो…” भाभी ने समझाया. “उस दिन तो लड़की को ऐसी खुजली मचाती है ना की बस पूछो मत…बड़ी से बड़ी शर्मीली सती साध्वी होगी वो भी खुद टांग उठा के…उस दिन तो तो कोई रह नहीं सकती लंड देव की कृपा ना हुयी तो..बैगन, मोमबत्ती…कुछ नहीं हुआ तो उंगली… उस दिन तो बस तुम्हे पूछने की देर है…” हंस के भाभी बोलीं.
हम दोनों नें एक द्दोसरे को कास क पकड़ रखा था. बाहर अभी भी होली के गाने, जोगीडा चल रहा था..
अरे कौन गावं में सूरज निकल कौन गाँव में चन्दा..
किस ने गोरी की चूंची पकड़ी किसने हचक के चोदा…
जोगीरा सा रा…
” बनारस है ये साड़ी रात चलता है…और तुम सोच रहे की लड़की को ये नहीं पता होगा वो नहीं पता होगा…” भाभी जोगीड़ा सुन के मुस्कराते हुए बोलीं. तभी अच्चानक मुझे छुडा के वो उठ खडी हुयीं.
” क्या हुआ किधर जा रही हैं आप..” मैंने पुछा .
” कहीं नहीं…” हलके से उन्होंने बोला और धीरे से दर्वाके की कुण्डी खोल के बाहर झाँका. दोनों लड़किया घोड़े बेच के सो रही थीं. उन्होंने फिर दरवाजा बंद कर दिया और मुझसे बोलीं,
” अरे वो जो पान तुम लाये थे…वो तो मैंने खाया ही नहीं…और वैसे तो तुम पान खाते नहीं… ” क्या हुआ किधर जा रही हैं आप..” मैंने पुछा .
” कहीं नहीं…” हलके से उन्होंने बोला और धीरे से दर्वाके की कुण्डी खोल के बाहर झाँका. दोनों लड़किया घोड़े बेच के सो रही थीं. उन्होंने फिर दरवाजा बंद कर दिया और मुझसे बोलीं,
” अरे वो जो पान तुम लाये थे…वो तो मैंने खाया ही नहीं…और वैसे तो तुम पान खाते नहीं…

जब तक कोई जबरदस्ती ना खिलाये…तो फागुन में तो देवर से जबरदस्ती बनती है खास
तौर वो अगर तुम्हारे ऐसा चिकना हो…है ना…” हंसते हुए बर्क में लिपटा हुआ वो ‘स्पेशल’ पान ले के भाभी आ गयीं.
फिर से उन्होंने मेरे गालों को दबाके मुंह खुलवा दिया. पान का चौड़ा वाला भाग उनके मुंह में था और नोक वाल भाग निकला था. बिना किसी ना नुकुर के मैंने ले लिया. ज्यादातर पान उनके
हिस्से में गया और थोड़ा सा मेरे में…( क्यों ये राज बाद में खुला). हम दोनों पान का रस ले रहे थे. भाभी ने हलके से मेरे होंठ पे काट लिया. मैं क्यों पीछे रहता मैंने और कस के काट लिया और अपने दांतों का निशान उनके गुलाबी होंठों पे छोड़ दिया. इस का स्वाद थोड़ा अलग सा लग रहा था. स्वाद के साथ एक मस्ती सी छा रही थी. देह में एक मरोड़ सी उठ रही थी. भाभी की आँखों में भी सुरूर नजर आ रहा था.
भाभी ने फिर मुझे चूम लिया और मुस्कराते हुए पुछा,
” जानते हो, इस पान को क्या कहते हैं और ये कब खिलाया जाता है.”
” ना…” मैंने कस के सर हिलाया और उन्हें हलके से गाल पे काट लिया. मेरी हरकतें अब मेरे कंट्रोल में नहीं थीं.
” तुम बुद्धू हो…” उन्होंने कस के अपने मस्त उरोजों को मेरे सीने पे रगडा. ” इसे पलंग तोड़ पान कहते हैं और इसे दुलहन दूल्हा खाते हैं. दूल्हा डालता है दुल्हन के मुंह में इसलिए मैंने दाल तेरे मुंह में…आज तो मैं दूल्हा तुम दुल्हन…क्योंकि मैं ऊपर तुम नीचे..मैं डाल रही हूँ और तुम डलवा…”
” नहीं नहीं भाभी…वो पिछली बार था. अबकी मैं डालूँगा और आप डलवैयेगा. ” मैं भी बोल्ड हो रहा था.
” क्या डालोगे …नाम लेने में तो तेरी साल्ले फटती है…” हंस के ‘ उसे ‘ हलके से सहलाती वो बोलीं.
‘वो ‘जोर जोर से कुनमुनाने लगा.
उनकी चूंची कस कस के दबा के मैं बोला,
” भाभी लंड डालूँगा…आपकी चूत में ..और वो भी हचक हचक कर..आपका देवर हूँ कोई मजाक नहीं…”
” अरे मेरे देवर तो हो ही लेकिन साथ में मेरी बिन्नो ( मेरी भाभी) ननद साल्ली के ननदोई भी हो..अपनी बहन कम माल के भंडवे भी हो और उस के यार भी हो…”
अब भाभी ‘उसे’ कस कस के आगे पीछे कर रही थीं और ‘वो’ पूरी तरह तन्ना गया था.
” तुमने भी ना देवर जी क्या सोच के फुल पावर का माँगा था…” भाभी ने मुझे चिढाया.
” मुझे क्या मालूम …आपने बोला था…तो मुझे लगा फुल पावर मतलब ज्यादा अच्छा होगा. ” मैं ने कुछ बहाना बनाया.
मेरे हाथ अब कस कस के उनके जोबन का मर्दन कर रहे थे क्या मस्त चूंची थीं . खूब गदराई, कड़ी कड़ी रसीली ….

मेरी उंगलियां उनके निपल को फ्लिक कर रही थीं.
” भाभी, दो ना…”
” क्या …” मेरी आंखो में आखें डाल के चंदा भाभी ने पूछा.
” यही …आपकी ए रसीली मस्त चून्चीयां, ये ..ये…चूत..” मुझे ना जाने क्या हो रहा था.
” तो ले लो ना…मेरे प्यारे देवर…मैने कब मना किया है. देवर का तो हक होता है और वैसे भी फागुन में…औ” और ये कह के वो मेरे उपर आ गयीं. उनके ३६ डी डी मेरे टीट्स को कस कस के रगड रहे थे…मेरे कानों को किस करके वो हल्के से बोलीं,
” लेकिन याद रख …अगर तू मुझसे पहले झडा, …तो तेरा उपवास हो जायेगा…मैं तो नहीं ही मिलुंगी…वो भी नहीं मिलेगी. अपनी उस मायके वाली छिनाल से काम चलाना. और तेरी गान्ड मारुन्गी सो अलग.और वो तो वैसे भी कल मारी ही जायेगी. ससुराल में वो भी फागुन में आ के बची रहे ऐसी मस्त चिकनी गांड…सख्त नाईन्साफी है.” उनकी मझली उंगली मेरे गांड के क्रैक पे रगड रही थी.
मेरे पूरे देह में सनसनी फैल गयी. जोश के मारे तो ‘उसकी’ हालत ख़राब थी. मुझे लगा शायद चन्दा भाभी ‘उसे’ पकड़ लें लेकिन कहाँ…उनकी उंगली मेरी गांड में घुसने की कोशिश कर रही थी. अचानक भाभी ने अपने हाथों से मेरे जबड़े को कस के दबा दिया. मेरा मुंह खुल गया. उनके रसीले पान से रंगे होंठ मेरे होंठों के ठीक ऊपर थे शायद बस एक इंच ऊपर…वो पान चुभला रही थी और उनकी नशीली आँखें सीधी मेरी आँखों में झाँक रही थीं. उन्होंने मेरे ऊपर से ही, अपना होंठ खोला और सीधे उनके मुंह से मेरे खुले मुंह में…चन्दा भाभी के मुख रस से घुला मिला..अधखाया कुचला पान का रस…उनके मजबूत हाथों की पकड़ में मैं अपना चेहरा हिला डुला भी नहीं पा रहा था और पान रस की धार सीधे मेरे मुंह में…थोड़ी ही देर में भाभी के होंठ मेरे होंठो पे थे…और उन्होंने उसे अच्छी तरह जकड लिया, कस के कचकचा के …कभी वो उसे चूसतीं, कभी काटतीं.
जैसे सुहागरात के वक्त कोई दुल्हा दुल्हन की नथ उतारने के पहले कस कस के उसके मीठे होंठों का रस लूटता है बिलकुल वैसे..थोड़ी देर में उन्होंने अपनी मोटी रसीली जीभ भी मेरे मुंह में घुसेड दी. वो मेरी जीभ को छेड़ रही थी, उससे लड़ रही थी.. और उसके साथ ही भाभी के खाए, कुचले, रस से लिथड़े पान के बचे खुचे टुकडे..सब के सब मेरे मुंह में और उनकी जुबान उसे मेरे मुंह के अन्दर ठेलती हुयी…पूरा पलंग तोड़ पान मेरे मुंह के घुल रहा था, उसका रस भिन रहा था. पहले धीरे धीरे फिर खुल के मेरे मुंह ने अन्दर घुसी, भाभी की जीभ को हलके हलके चूसना शुरू कर दिया. जैसे कोई शरमाती लजाती दुलहन, पहले झिझके फिर अपने मुंह में जबरन घुसे शिश्न को रस ले ले के चूसने लगे. बहोत अच्छा लग रहा था. और भाभी के शरारती हाथ भी ना…वो क्यों चुप बैठते..जो उंगली मेरे पिछवाड़े के छेड़ में घुसने की कोशिश कर रही थी…वो अब मेरे बाल्स को सहला रही थी…छेड़ रही थी. और दूसरे हाथ ने जबड़े को छोड़ कर, कस कस के मेरे निपल्स को पिंच करना, कस कस के खींचना शुरू कर दिया .
८-१० मिनट के जबर्दस्त चुम्बन …..के बाद ही भाभी ने छोडा.

लेकिन बस थोड़े देर के लिए मेरा मुंह उन्होंने फिर जबरन खुलवा दिया और अबकी सीधे उनकी चूंची…पहले इंच भर बड़े, खड़े निप्पल और उसके बाद रसीली गदराई मस्त चूंची…मेरा मुंह फिर बंद हो गया. मैं हलके हलके चूसने लगा. कभी जीभ से फ्लिक करता

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