Holi me chudai final maza

  ” हे मैं यहाँ, काम के मारे मरी जा रही हूँ.. और वहां तुम ..ए सी में मजे से बैठे हो चलो….काम में हेल्प करवाओ…” टीपीकल गुड्डी..नाराज हो के वो...

 ” हे मैं यहाँ, काम के मारे मरी जा रही हूँ.. और वहां तुम ..ए सी में मजे से बैठे हो चलो….काम में हेल्प करवाओ…”

टीपीकल गुड्डी..नाराज हो के वो बोली.
” अरे काम वो भी …तुम्हारे साथ…यही तो मैं चाहता हूँ. और जब करना चाहता हूँ तो तुम कहती हो…तुम बड़े कामुक हो…” मैंने मुस्करा के कहा.
” वो तो तुम हो…” वो हंसी और मैं घायल हो गया. फिर उसकी शैतान आँखों ने नीचे से ऊपर तक मुझे देखना चालु कर दिया.
मेरे चेहरे पे आके उसकी आँखे रुक गयीं और वो मुस्कराने लगी.
” चिकनी चमेली.”
उसकी एक उंगली ने मेरे गाल पे सहलाया और मैं नीचे तक सिहर गया.
और फिर गाल पे एक हलकी सी चिकोटी काट के उस ने उंगलीसे मेरी ठुड्डी उठायी और आँख में आँख डाल के बोली,
” बहोत मस्त शेव बनाया ..एकदम मक्खन…”
मैं सिर्फ मुस्करा दिया.
हाथ से गाल सहलाते एक उंगली वो मेरे नाक के ठीक नीचे ले गयी. मुझे कुछ अजब सी अलग सी फीलिंग हुयी.
उसने बिना कुछ बोले मेरी गर्दन दीवार पे लगे शीशे की ओर मोड़ दी, और मुस्करा दी.
” हे ..ये क्या…” मैं चौंक गया…
मेरी मूंछे साफ थीं ..एकदम चिकनी.
वैसे मैं एक पतली सी मूंछ रखता था…लेकिन रखता जरूर था…
” अरे किस करने के लिए ज्यादा जगह …मैंने बोला था ना की तुम्हारी भाभी ने बोला है की चिकनी चमेली…तो..” वो शैतान बोली और उसने झप्प से मेरे होंठों पे एक बड़ी सी किस्सी ले ली.
” अरे वो जो तुमने क्रीम लगाई थी ना…” आँखे नचा के …मुस्करा के वो बोली….
” हाँ …तो मतलब…” मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था…
” मतलब सीधा है..बुद्धू…” उसने मेरे गाल पे एक मीठी सी चिकोटी काटी और बोली..” वो क्रीम चन्दा भाभी अपनी झांटे साफ करने के लिए करती..हैं…और कभी कभी कभी मैं भी कर लेती हूँ…एकाध बाल शायद इसीलिए उसमें रह गया हो…”
” यानी …” अब मेरे चौकने की बारी थी.
” अरे यानी कुछ नहीं…वो भी इम्पोर्टेड थी…यार एकदम स्पेशल और बहोत इफेक्टिव …लेकिन तुमने लगा भी तो किता सारा लिया था. थोड़ी सी ही काफी होती है उसकी. मैं तो बस उनगली बराबर लगाती हूँ…लें तुमने तो ढेर सारा लिथड लिया था ..अब कम से कम पन्दरह दिन दिन तक कोई घास फूस नहीं होगा..”
उसे लगा शायद मैं थोड़ा नाराज हूँ…लेकिन अब तो मुझे उसकी शैतानियों की आदत सी लग गयी थी.

मेरे बारामुडा में हाथ डाल के अन्दर भी हाथ फिराते बोली …” अरे यहाँ भी तो एकदम चिकना हो गया है. ‘ उसे’ उसने मुट्ठी में ले लिया और आगे पीछे करते हुए छेड़ा,
” हे…गुंजा का नाम लेके ६१-६२ किया की नहीं…”
” छोड़ो ना यार …” मेरे जंग बहादुर की हालत खराब होती जारही थी. वो अब पूरे जोश में आ रहा था.
“पहले बताओ,….” अब उसकी उंगली मेरे सुपाडे के मुंह पे थी.”
” नहीं यार…मैंने बोला ना की अब…” मेरी निगाह घडी पे थीं. १० बज रहे थे…” उन्ह १२-१४ घंटे के बाद…बस अब ये तुम्हारे अन्दर घुस के ६१-६२ करेगा. ”
” तुम ना …अब उसकी शरमाने की बारी थी. लेकिन वो कितने देर चुप रहती. बोली…”असल में कल जब तुम्हे …वो गूंजा से मैं बात कर आरही थी तो वो बोली की अगर इत्ते गोरे चिकने हैं तो उन्हें सिर्फ ..प्रूरा श्रृंगार कराना चाहिए…मैंने कहा एकदम तो वो बोली…बस एक थोड़ी सी कसर है तो मैंने पूछा क्या ..वो तुम्हारी साली बोली…मूंछे हैं तो फिर…कैसे. मैंने सोच लिया और बोला की चल उसका भी कुछ इंतजाम कर देंगे…..” और वो खिलखिला के हंसने लगी…
” तुम दोनों ना…आने दो उसको स्कूल से…”
” वैसे उसकी वोटिंग लिस्ट में तुम्हारा दूसरा नंबर है…” वो बोली.
” मतलब…अभी ” मैं चकराया अभी से….
” और क्या एक यही गली के मोड़ पे है रोज उसका इन्तजार करता है ..और दूसरा स्कूल के पास….लेकिन चलो तुम्हारी साली है अब तुम कहोगे तो कुछ करना ही पडेगा..नम्बर डकवा के पहला कर दूंगी…” अदा से वो बोली.
” अभी से अभी तो वो ….” मैं चकरा के बोला.मेरी बात समझ के गुड्डी ने बात काट कर बोला…
: अरे यार, यहाँ बच्चे तो सिर्फ तुम हो…जानते हो मेरी क्लास मैं …”
तुम ना …अब उसकी शरमाने की बारी थी. लेकिन वो कितने देर चुप रहती. बोली…”असल में कल जब तुम्हे …वो गूंजा से मैं बात कर आरही थी तो वो बोली की अगर इत्ते गोरे चिकने हैं तो उन्हें सिर्फ ..प्रूरा श्रृंगार कराना चाहिए…मैंने कहा एकदम तो वो बोली…बस एक थोड़ी सी कसर है तो मैंने पूछा क्या ..वो तुम्हारी साली बोली…मूंछे हैं तो फिर…कैसे. मैंने सोच लिया और बोला की चल उसका भी कुछ इंतजाम कर देंगे…..” और वो खिलखिला के हंसने लगी…
” तुम दोनों ना…आने दो उसको स्कूल से…”
” वैसे उसकी वोटिंग लिस्ट में तुम्हारा दूसरा नंबर है…” वो बोली.
” मतलब…अभी ” मैं चकराया अभी से….
” और क्या एक यही गली के मोड़ पे है रोज उसका इन्तजार करता है ..और दूसरा स्कूल के पास….लेकिन चलो तुम्हारी साली है अब तुम कहोगे तो कुछ करना ही पडेगा..नम्बर डकवा के पहला कर दूंगी…” अदा से वो बोली.

” अभी से अभी तो वो ….” मैं चकरा के बोला.मेरी बात समझ के गुड्डी ने बात काट कर बोला…
: अरे यार, यहाँ बच्चे तो सिर्फ तुम हो…जानते हो मेरी क्लास मैं …”
अबकी बात काटने का काम मैंने किया. मैंने उसे मक्खन लगाते हुए कहा….”
” अरी मेरी सोनिये मुझे मालूम है…तू पाने क्लास में सबसे प्यारी है, सबसे सेक्सी है….और सबसे पहले तेरी बिल में सेंध लगने वाली है…”.
आँखे नचाते हुए उसने कस के मेरा कान पकड़ के खिंचा और बोली…
” यही तो पता कुछ नहीं…लेकिन बोलेंगे जरुर…वैसे आधी बात तो सच है…सबसे सेक्सी और सोनी तो मैं हूँ….लेकिन मेरे प्यारे बुद्धुराम …मेरी क्लास की मेरी आधे से जयादा सहेलियों की बिल में सेंध लग चुकी है….सिर्फ तीन चार बची हैं मेरे जैसी …और मेरे पल्ले तो तेरे जैसा बुद्धू पड़ गया है इस लिए…पता है और उनमें से आधे से ज्यादा किस से फँसी हैं….”
” ना …मुझे बात सुनने से ज्यादा उसके गुलाबी गालों को देखने में ज्यादा मजा आ रहा था. वो ईति एकसाइटेड लग रही थी…
” अरे यार …अपने कजिन्स से किसी का चहेरा भाई है तो किसी का ममेरा, फुफेरा, मौसेरा….घर में किसी को शक भी नहीं होता मौका भी मिल जाता है… अचानक उस की कजारारी आँखों में एक नयी चमक उभरी. मैं समझ गया कोई शैतानी इस के दिमाग में आयी है. वो मेरे पास सट गयी और बोली…
” सुन ना…वो जो तेरी कजिन है ना..चलवा दू उस से तेरा चक्कर …अरे वही जिसका नाम ले के कल मम्मी और चंदा भाभी तुम्हे मस्त गालिया सुना रहे थीं…तो उन की बात सच करवा दो ना इस होली मैं…अरे यार इत्ती बुरी भी नहीं है…मस्त है…हाँ थोड़ा छोटा है …ढूढते रह जाओगे टाईप…लेकिन कुछ मेहनत करोगे तो उसका भी मस्त हो जाएगा…वैसे हम दोनों का भी फायदा है उसमें….” किसी चतुर सुजान की तरह वो बोली.
” क्या …” मुझसे बिना पूछे नहीं रहा गया….
” अरे यार कभी हम लोगों को एक साथ चिपटा चिपटी करते देख लेगी तो कहीं …गाएगी तो नहीं…अगर एक बार तुम से खुद करवा लेगी तो…वैसे बुरी नहीं है वो…” मुस्करा के वो बोली. मेरी समझ में नहीं आ रहा था की वो मजाक कर रही है या सीरियस है…मैंने बात मैंने बात चेंज करने की कोशिश की….
” ये तुम कर क्या रही हो…” और अब उलटे मुझे डाट पड़ गई…
‘ तुम ना ..देखो तुम्हारी बातों में आके मैं भी ना…कित्ता टाइम निकल गया…अब मुझे ही डांट पड़ेगी और समझ में भी नहीं आ रहा है…की….” वो मुझे हड़काते हुए बोली.” बताओ न….” मैंने पूछने की कोशिश की और अबकी थोड़ा कामयाब हो गया…
” अरे यार वो तुम्हारी भाभी ना…थोड़ी देर में यहाँ दंगल शुरू होगा…”
” ” दंगल मतलब…” मेरी समझ में नहीं आया …
” अरे यार …तुम बात तो पूरी नहीं करने देते और बीच में .. अरे यहाँ कुछ स्नैक्स वैक्स का इंतजाम करना था ..दूबे भाभी ने दही बड़े बनाए हैं..अभी उनकी ननद रितू लेके आ रही होगी..तो मीठे के लिए आज सुबह…चन्दा भाभी ने गुझिया गरम गरम बनायी है…वैसी ही जिसे खा के कल तूम झूम गए थे…लेकिन होली में गुझिया खाता कौन है खा कह के लोग थक जाते हैं और लोगों को शक भी रहता है की कहीं उसमें…और वैसे तो उनहोने ठंडाई भी बनायीं है लेकिन उसमें भी….”
” पड़ी है की नहीं उसमें…” मैं मुस्करा के पुछा…
” अरे एक दम चंदा भाभी बनाए….उन्होंने मुझे कहा है की अगर नहीं चढ़ी तो वो मेरी ऐसी की तैसी कर देंगी आज …लेकिन जल्दी कोई हाथ नहीं लगाएगा…ठंडाई में ”
“बात तो तेरी सही है यार …हूँ…हूँ…ऐसा करते हैं है सुन ..कल वो नाथा हलवाई के यहाँ से वो गुलाब जामुन लाये थे ना…” मैंने आइडिया दिया…
” अरे वो..डबल डोज वाली ना स्पेशल…हाँ आइडिया तो तुम्हारा ठीक है…किसी को पता भी नहीं चलेगा…
वो खुश होके बोली.
” हाँ एक बात और कितना टाइम है सब के आने में…” मैंने पूछा.
” बस दस पंद्रह मिनट.”
” अरे तो ठीक है दो .बोतल बियर .कल लाये थे ना.”
” हाँ…” उसकी आँखों में चमक आ गयी.
” बस पांच मिनट बाद उसे फ्रिज से निकाल के …मैं सील खोल दूंगा…और` बर्फ ड़ाल के ….” मैं बोला.
” सील खोलने का बहोत मन करता है तुम्हारा…अब तक कितने की खोल चुके हो…” खी खी करके वो हंसी…
” एक की तो आज खोलने वाला हूँ…” उस के गाल पे चिकोटी काट के मैं बोला.
” धत्त …और शर्मा के वो टेसू हो गयी. यही अदा उस की जान लेती थी कभी इतना शर्माती थी और`कभी इत्ती बोल्ड
वो प्लेट में गुलाब जामुन लगाने लगी…और मैं बीयर की बोतल ले आया…लेकिन मुझे एक आइडिया और आया…मैंने भाभी के कमरे में कुछ इम्पोर्टेड दारु देखी थी. मैं पीता नहीं था लेकिन अंदाज तो था ही….बैकार्डी जिसमें ८० % अल्कोहल थी, वोदका कैनेबिस …जिसमें ८०% अल्कोहल के साथ कनेबिस भी होती है और एक बाटल …स्त्रह ओरिजिनल औस्ट्रीया की रम जो काफी स्ट्रांग होती है. मुझे भी शरारत सूझी. मैंने दो बाटल लिम्का और स्प्राईट में …बैकार्डी और वोदका और पेप्सी और कोक में रम मिला दी और उसको इस तरह बंद कर दियाजैसे सील हों. ये बात मैंने गुड्डी को भी नहीं बतायी. ७-८ ग्लास लगा के मैंने उसमें बियर निकाल दी और गुड्डी को बोला की कोई पूछे तो बोल देना की इम्पोर्टेड कोल्ड ड्रिंक है मैं लाया हूँ.
वो प्लेटों में लाल, गुलाबी, नीला, रंग गुलाल अबीर रख रही थी.
” ये रंग तुम्हारे लिए नहीं है…” मुस्करा के वो बोली.
” मुझे मालूम है मेरे ऊपर तो तुम्हारा रंग चढ़ गया है अब…किसी रंग का कोई असल नहीं होने वाला है….” हंस के मैंने बोला.
” मारूंगी.’ वो बनावटी गुस्स्से में बोली और एक हाथ में प्लेट से गुलाबी रंग ले के ..मेरे गालों पे …
” अच्छा चलो डाल..आज रात को ना बताया तो…पूरी पिचकारी अन्दर`कर दूंगा….और`पूरा सफेद रंग…” मैं बोला.
” कर देना कौन डरता है…रात की रात को देखी जायेगी अभी तो मैं …” और दूसरे हाथ में प्लेट से लाल रंग ले के…सीधे मेरे बार्मुडा में …
‘ वहां ” रगड़ रगड़ के लगाती हुयी बोली…बहोत रात की बात कर के डरा रहे थे ना …इस पिचकारी को पिचका के रख दूंगी और एक एक बूँद सफेद रंग निचोड़ लुंगी…” अब उस पे होली का रंग चढ़ गया था.
जो रंग उसने मेरे गाल पे लगाया था वो मैंने उसके गाल पे लगा दिया अपने गाल से उसके गाल को रगड़ के…
थोड़ी देर में हम लोग उबरे जब अन्दर से चन्दा भाभी की आवाज आई…

” हे प्लेट वेट लगा दिया…और वो दूबे भाभी.रीत . आई की नहीं…”

” प्लेट वेट लगा दिया…दूबे भाभी थोड़ी देर में आएँगी…हाँ रीत बस आ रही होगी..” गुड्डी ने वहीँ से हंकार लगाई. ” हे येरीत …” मैंने पूछा.
” क्यों बिना देखे दिल मचलने लगा..बोला तो था ना की दूबे भाभी की ननद है..हमारे स्कूल में ही पढ़ती थी. इसी साल इन्टर किया है…लेकिन कम से कम तुम उस की सील नहीं तोड़ सकते..”
” मतलब …” मैंने ना समझने का नाटक किया.
गुड्डी ने तीन उंगलियाँ दिखायीं.
” तीन…एक साथ या बारी बारी से…” मुस्कराते हुए मैंने पूछा.
” आ रही होंगी …तुम खुद ही पूछ लेना. ” हंसते हुए वो बोली. फिर उस की गाथा चालू हो गई.
” वो गुंजा के बराबर ही थी…या शायद और…खुद दूबे भाभी और उस की दीदी ने….उस के जीजा के साथ…पहले तो उन लोगो ने उसे भांग पिला दी थी और फिर दूबे भाभी ने उस के हाथ पकड़ के ..ये कह के की जीजा का तो साल्ली पे हक़ होता है ..सब तुम्हारे जैसे सीधे जीजा तो होते नहीं…वो तो वैसे भी खुल्लम खुला अपने ननदोई के साथ…फिर एक उनका कोई कजिन था….और एक …” अतब तक सीढ़ी पे पद चाप
सुनाई पड़ी. वो चुप हो गयी लेकिन धीरे से बोली …एक दम हिरोइन लगती हैं..कालेज में सब कैटरीना कैफ कहते थे.
तब तक वो सामने आगई.
वास्तव में कैटरीना ही लग रही थी.
पीला खूब टाईट कुरता…सफेद शलवार …गले में दुपट्टा…उसके उभारों की छुपाने की नाकमयाब कोशिश करता…सुरु के पेड़ की तरह लम्बी , खूब गोरी… लम्बी लम्बी टाँगे…
मैं उसे देखता ही रह गया.
और वो भी…मुझे…
मेरे मुह से बेसाख्ता निकला…कैटरीना….
और उसके मुंह से…………….सलमान…
मैंने झुक के अपनी और देखा. गुंजा का टाप एक तो स्लीवलेस …बस किसी तरह मुझे कवर किये हुए था….मेरी सारी मसल्स साफ साफ दिख रही थीं…जिम टोंड ना भी हों तो उनसे कम नहीं…और उस का बार्मुदा मेरे शार्ट से भी छोटा था…इसलिए…जाँघों की मसल्स भी ..थोड़ी देर पहले ही गुड्डी से जिस तरह चिपका चिपकी हुयी थी.उससे सबसे इम्पार्टेंट ‘मसल’ भी साफ दिख रही थी.
मैंने कुछ झिझकते हुए कहा, ” वो मेरे कपडे…वो…कल…”
वो मुस्कराके बोली…” मुझे मालूम है मेरे पास है मेरे पास हैं घबडाइए नहीं…बिना फटे वटे मिल जायेंगे आपको..”
मुझे याद आया कल चन्दा भाभी ने बताया तो था की दूबे भाभी का लांड्री, रंगरेज, ब्लाक प्रिंटिंग का काम चलता है.
मेरी निगाहें उसके छलकते उरोजों पे टिकी थीं…और उसकी नीचे…
हम दोनों ने एक साथ एक दूसरे को देखा. दोनों की चोरी पकड़ी गयी.
हम दोनों एक साथ जोर से हंस दिए..गुड्डी ने बोला…” उफ्फ मैं आप दोनों का इंट्रो तो करवाया ही नहीं….ये हैं रीत ये …आनंद “..मैंने एक बार फिर उसे देखा ….

पीछे लग रहा था धुन बज रही है मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त …मैं चीज बड़ी हूँ मस्त….

मुझे मालूम है,…एक बार हम दोनों फिर एक साथ बोले…
” अरे आती हुयी बहार का…खुशबु का, खिलखिलाती कलियों का…गुनगुनाती धुप का इंट्रो थोड़ी देना पड़ता है…वो अपना अहसास खुद करा देती हैं…” मैं बोला….
” मुझे आप के बारे में सब मालूम है इसने इसकी मम्मी ने…सब बताया है लेकिन मैं सोच रही थी…की…” उस कली ने बोला.
” की हम आपके हैं कौन…” मुस्कराके मैं बोला.
” इकजैक्टली…” वो हंस के बोली.
” अरे मैं बताती हूँ ना..ये बिन्नो भाभी के देवर ..तो…” गुड्डी बोली.
” चुप मुझे जोड़ने दे…”
” बिन्नो …भाभी…यानी तुम्हारो मम्मी की ननद यानि चन्दा भाभी..मेरी भाभी सबकी ननद …और मैंने भी इस सबकी ननद तो फिर आप उनके देवर … तो आप …मेरे तो देवर हुए…” और कैटरीना ने मेरी ओर हाथ मिलाने के लिए हाथ बढाया..
” एक दम सही लेकिन सिर्फ दो बातें गलत…” मैं बोला और बजाय हाथ मिलाने के लिए हाथ बढाने मैं गले मिलनेके लिए बढ़ा.
वो खुद आगे बढ़ के मेरी बाहों में आ गय

मैंने कास के उसे भींच लिया. मेरे होंठ उस के कान के पास थे. उस के इयर लोबस को हलके से होंठों से सहलाते हुए मैंने उसके कान में फुसफुसाया….
” हे भाभी से मैं हाथ नहीं मिलाता गले मिलता हूँ….’
” मंजूर…” मुस्कराते हुए वो बोली. ” और दूसरी बात ..भाभी मुझे आप नहीं तुम बोलती हैं…” मैं बोला.
” लेकिन मैं तो आप..मेरा मतलब …तुम से छोटी हूँ …” वो कुनमुनाई.
उसके उरोज अब मेरे सीने के नीचे दब रहे थे….मैंने और क़स के उसे भींचा. उसने छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की बल्की और उभार के अपने उरोज मेरे सीने में दबा दिए.
” तो चलो हम दोनों एक दूसरे को तुम कहेंगे…ठीक…” मैंने सुझाया.
” ठीक…” वो कुनमुनाई.
मैंने थोड़ी और हिम्मत की. मैं एक हाथ को हम दोनों के बीच उसके, दबे हुए उरोज पे ले गया और बोला…फागुन में तो भाभी से ऐसे गले मिलते हैं…”
मेरे दोनों पैर उसकी लम्बी टांगों के बीच में थे. मैंने उन्हें थोडा फैला दिया…और अपने ‘उसको’ ( वो भी अब टनटना गया था) सीधे उसके सेंटर पे लगा के हलके से दबा दिया. मेरा बदमाश लालची हाथ भी…हलके से दबाने लगा था…उसके उरोज…”
वो मुस्कराके बहोत धीमे से मेरे कान में बोली…” अच्छा जी मैं भी तुम्हारी भाभी हूँ कोई मजाक नहीं…” और बारमुडा के ऊपर से ‘उसे’ दबा दिया….
वो और तन्ना गया.
” हे भाभी डरती हो क्या…काटेगा नहीं..ऊपर से क्यों …फागुन है…तुम मेरी भाभी बनी हो तो…’ मैंने उसे और चढाया.
‘ चला तू भी क्या याद करेगा..”और उसका हाथ बारमुडा के अन्दर…हलके से उसने ‘उसे’ छुआ.
हम दोनों ऐसे चिपके थे की बगल से भी नहीं दिखा सकता था की हमारे हाथ क्या कर रहे हैं.
रीत दहीबड़े की प्लेट लायी थी और साथ में बैग में कुछ…गुड्डी उसे ही देख रही थी और बीच बीच में…हम लोगों को>
रीत ने उसे हम लोगों को देखते हुए पकड़ लिया..और मुझसे बोली…
” हे ज़रा सून्घों कहीं…कहीं….कुछ जलने की, सुलगने की महक आ रही है….”

मैंने अबकी गुड्डी को दिखाते हुए रीत के उभार हलके से दबा दिए और बोला…” शायद …थोडा थोडा आ रही है…”
गुड्डी भी…वो समझ रही थी…हम लोग क्या कह रहे हैं…वो बोली…’ लगे रहो लगे रहो…” और रित की ओर मुंह करके बोली…” हे जो सुलगने वाली चीज होती है ना मैंने पहले ही
साफ सुफ कर दी है.”तीनों हंस दिए.
” फेविकोल का जोड़ है इत्ती आसानी से नहीं छुटेगा…” रीत बोली.

फेविकोल का जोड़ है इत्ती आसानी से नहीं छुटेगा…” रीत बोली.

” अचछा नए नए देवर जी ..अपनी भाभी को सिर्फ पकड़ा पकड़ी ही करियेगा या कुछ खिलाइए..पिलाइएगा भी…” मैं गुड्डी का मतलब समझ गया. एक बार वो जो ड्रिंक्स मैंने बनाए थे और नत्था का गुलाब जामुन डबल डोज वाला…
लेकिन वो चिड़िया इतनी आसानी से चारा घोंटने वाली नहीं थी.
हम दोनों अलग हो गए. वो मुझसे पूछने लगी…
” हे आप मेरा मतलब…तुम…आप ..अभी…” उसने मुझसे बात की शूरआत की.

“तुम बोलो ना आप कहा तो….वैसे मैं अभी ट्रेनिंग…” मैं उसका सवाल समझ गया था.
” ना ना वो तो मुझे मालूम है…ये चुहिया हम सब को आप के बारे में बताती रहती है…” गुड्डी की ओर इशारा करके वो बोली. गुड्डी झेंप गयी जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो.
रीत ने फिर कहा ” नहीं मेरा मतलब था की तुम्हारी ट्रेनिंग कब तक चलेगी…”
” अभी साल डेढ़ साल और …इस चुहिया ने मुझे आप मेरा मतलब है तुम्हारे बारे में ये…” मैं बोला.
गुड्डी जोर से चिल्लाई …” हे ये मेरी दीदी हैं …चुहिया कहें या चाहे जो लेकिन आप …’
” ओके,,,बाबा…मैं अपनी बात वापस लेता हूँ…मैं बोला और फिर कहा और फिर कहा,
” मेरी गुड्डी ने ये बोला था की …आप मेरा मतलब तुम ने अभी…इंटर कोर्स किया है…”.
” इन्टर कोर्स….नहीं इंटर का कोर्स….” मुंह बना के रीत बोली.
गुड्डी मुस्करा रही थी.
” तो क्या तुमने अभी तक इन्टरकोर्स नहीं किया…चचच्च….'” मैं बड़े सीरियस अंदाज में बोला.
” कैसे करती…तुम तो अभी तक मिले नहीं थे…” वो भी उसी तरह मुंह बना के बोली.

मैं समझ गया की ये चीज बड़ी है मस्त मस्त

‘ आगे का क्या प्रोग्राम है…’ मैंने मुस्कराते हुए पुछा.
” अब तुम्हारे ऐसा देवर मिल गया है …तो हो जाएगा…” खिलखिलाते हुए वो बोली.
” तुम लोग ना …सिंगल ट्रैक माइंड….बिचारे बदनाम लडके होते हैं…अरे मेरा मतलब था की पढाई का लेकिन तुम्हारे दिमाग में तो…” चिढाते हुए मैंने कहा.
कुछ खीझ से कुछ मजे ले के मेरा कान पकड़ के वो बोली…
” फिलहाल तो आगे का प्रोग्राम तुम्हारी पिटाई करने का है….”
“:एक दम एक दम…मैं भी साथ दूंगी…कहो तो डंडा वंडा ले आऊं…” गुड्डी भी उस का साथ देते बोली.
बिना मेरा कान छोड़े वो बोली. ” अरे यार आगे का प्रोग्राम ग्रेजुएशन करने का है और क्या…”
” वही…पूछ रहा हूँ …किस साइड से करोगी…आर्ट साइंस…या…” मैंने पुछा..

.” बी. काम. बैचलर आफ कामर्स …” वो मुस्करा के बोली. मेरा कान अब फ्री हो गया था.
” ओके…तो आप काम रस में ग्रजुएशन करेंगी…सही है…सही है,,,” ऊपर से नीचे तक मैंने उसे देखा. उसके टाईट कुरते में कैद जोबन पे मेरी निगाह टिक गयीं. ” सही है…सर से पैर तक तो तुम…काम रस में डूबी हो….हे मुझे भी कुछ पढ़ा देना …काम रस…आम रस …मैं तो रसिया हूँ…रस का…” मेरी निगाहें उसके उरोजों से चिपकी थीं.

वो समझ रही थी की मैं किस आम रस की बात कर रहा हूँ…वो भी उसी अंदाज में बोली.
” अरे आम रस चाहिए तो पेड़ पे चढ़ना पड़ता है…आम पकड़ना पड़ता है….”
” अरे मैं तो चढ़ने के लिए भी तैयार हूँ और ….पकड़ने के लिए भी बस एक बार खाली मुंह लगाने का मौका मिल जाए…” मैंने कहा.
एक जबरदस्तअंगड़ाई ली कैटरीना यानी रितू ने….दोनों कबूतर लगता था छलक के बाहर आ जायेंगे..
” इंतज़ार…उम्मीद पे दुनिया कायम है क्या पता…मिल हीं जाय कभी..” वो जालिम इस अदा से बोली की मेरी जान ही निकल गयी.

” हे अपनी भाभी का बात से ही पेट भरोगे…” गुड्डी ने फिर मुझे इशारा किया.
” नहीं मैं खिलाऊँगी इन्हें…सुबह से इत्ती मेहनत से दहीबड़े बनाये हैं.”..रीत बोली और दहीबड़े की प्लेट के पास जा के खड़ी होगयी.
” नहीं..ईई …” मैं जोर से चिल्ल्लाया. ” सुबह गूंजा और इसने मेहनत से कर के अभी तक मेरे मुंह में….”
गुड्डी बड़ी जोर से हंसी. उसकी हंसी रुक ही नहीं रही थी.

” अरे मुझे भी तो बता ….”रीत बोली.
हंसते …रुकते..किसी तरह गुड्डी ने उसे सुबह की ब्रेड रोल की …किस तरह उस ने और गुंजा ने मिल के मेरी ऐसी की तैसी की….अब के रीत हंसने की बारी थी.
“बनारस में बहोत सावधान रहने की जरूरत है..” मैं बोला.
” एकदम बनारसी ठग मशहूर होते हैं…”रीत बोली.
” पर यहां तो ठगनिया हैं…वो भी तीन तीन…कैसे कोई बचे…” मैं बोला…
” हे बचाना चाहते हो क्या…” आँख नचा के वो जालिम अदा से बोली.
” ना…” मैंने कबूल किया.
” बच के रहना कहें दिल विल…कोई…” वो बोली.
मैं जा के गुड्डी के पास खडा हो गया था. मैंने हाथ उसके कन्धे पे रख के कहा…
” अब बसी यही गनीमत है ..अब उसका दर नहीं है…ना कोई ठग सकता है ना कोई चुरा सकता है….” मैंने भी बड़े अंदाज से गुड्डी की आँखों में झांकते कहा.
उस सारंग नयनी ने जैसे एक पल के लिए अपन बड़ी कजरारी आँखे झुका के गुनाह कबूल कर लिया लेकिन रीत ने फिर पूछा..
.” क्यों क्या हुआ..दिल का..”
” अरे वो पहले ही चोरी हो गया …” और अब मेरा हाथ खुल के गुड्डी के उभारों पे था…
रीत कुछ कुछ बात समझ रही थी लेकिन उसने छेड़ा…चोर को सजा क्या मिलेगी…
” अभी मुकदमा चल रहा है लेकिन आजीवन कारावास पक्का….” मैं मुस्करा के गुड्डी को देखते बोला. ” बस दर यही की मिर्चे वाली ब्रेड रोल…” मेरी बात काट के रीत बोली..
” अरे यार ..ससुराल में…ये तो तुम्हारी सीधी साल्लिया थी…ये गनीमत मनाओ की मैं इन दोनों के साथ नहीं थी….लेकिन दही बड़े के साथ डरने की कोई बात नहीं है…लो मैं खा के दिखाती हूँ..” और उसने एक छोटी सी बाईट ले कर अपनी लम्बी गोरी अँगुलियों से मेरे होंठों के पास लगाया.
मेरे मुंह की क्या बिसात मना करता. मैं खा गया.
” नदीदे …” गुड्डी बोली.
: ” अरे यार ..ऐसी सेक्सी भाभी….फागुन में कुछ दे जहर भी दे ना तो कबूल. मैं मुस्करा के बोला.
” अरे ऐसे देवर पे तो मैं बारी जाऊ ..ये कह के ने रीत अपने हाथ में लगा दही बड़े का दही मेरे गाल पे लगा दिया. और थोड़ा औ प्लेट से ले के…और
( दही बड़े में मिर्च नहीं थी…लेकिन वो सबसे खतरनाक था..दूबे भाभी के दहीबड़े मशहूर थे…वहां…उनमे टेबल पे जीतनी चीजें थी…उनमे से किसी से भी ज्यादा भांग पड़ी थी. गुड्डी को ये बात मालुम थी लेकिन उस दुष्ट ने मुझे बताया नहीं) नदीदे …” गुड्डी बोली.
: ” अरे यार ..ऐसी सेक्सी भाभी….फागुन में कुछ दे जहर भी दे ना तो कबूल. मैं मुस्करा के बोला.

” अरे ऐसे देवर पे तो मैं बारी जाऊ ..ये कह के रीत ने अपने हाथ में लगा दही बड़े का दही मेरे गाल पे लगा दिया. और थोड़ा औ प्लेट से ले के…और
( दही बड़े में मिर्च नहीं थी…लेकिन वो सबसे खतरनाक था..दूबे भाभी के दहीबड़े मशहूर थे…वहां…उनमे टेबल पे जीतनी चीजें थी…उनमे से किसी से भी ज्यादा भांग पड़ी थी. गुड्डी को ये बात मालुम थी लेकिन उस दुष्ट ने मुझे बताया नहीं)
गुड्डी बस खड़ी खी खी कर रही थी…

मैंने रितू को गुलाब जामुन खिलाने की कोशिश की तो उसने मुह बनाया…लेकिन मैंने समझाया…दिल्ली से लाया हूँ…तो वो मानी. एक बार में पूरा ही ले लिया लेकिन साथ में मेरी उंगलियाँ भी काट लीं. और जब तक मैं सम्हलता …मेरा हाथ मोड़ के शीरा मेरा हाथ का मेरे ही गाल पे लगा दिया.
” चाट के साफ करना पडेगा…” मैंने उसे चैलेन्ज दिया.
” एकदम..हर जगह चाट लुंगी…घबड़ाओ मत….” हंस के वो बोली.रीत की निगाहें टेबल पे कुछ पीने के लिए ढूंढ रही थी
” ठंडाई” मैंने आफर की …
” ना बाबा ना..चन्दा भाभी की बनायी…एक मिनट में आउट हो जाउंगी…” फिर उस की निगाह बियर के ग्लास पे पड़ी

.” बियर …पीते हो क्या..”
” कभी कभी ..अगर तुम्हारा जैसे कोई साथ देने वाला मिल जाय…” मैंने मुस्करा के कबूल किया.
” थोड़ी देर में …लेकिन सबको पिलाना तब मजा आएगा..ख़ास तौर से इसे…” मुड़ के उसने गुड्डी की और देखा.
” एक दम…लेकिन अभी..”

रीत का ध्यान कहीं और मुड़ गया था..”.हे म्यूजिक का इंतजाम है कुछ क्या..
” है तो नहीं..पर चंदा भाभी के कमरे में मैंने स्पीकर और प्लेयर देखा था…लगा सकते हैं…तुम्हे अच्छा लगता है …” मैंने पूछा…
” बहोत…” वो मुस्करा के बोली…” चल उसी से कुछ कर लेंगे …”
” और डांस…” मैंने कुछ और बात आगे बढाई
” एकदम …” उसका चेहरा खिल गया…” और ख़ास तौर से जब तुम्हारे जैसा साथ में हो…वैसे अपने कालेज में मैं डांसिंग क्वीन थी..तब तक मैंने उसका ध्यान टेबल पे रखे कोल्ड ड्रिंक्स की और खींचा.
” हे स्प्राईट चलेगा….”
गुड्डी रीत जो बैग साथ लायी थी उसे खोल के देख रही थी और मुझे देख के मुस्करा रही थी.
रीत ने गौर से बाटल की सील को देखा…वो बंद थी.
” चलेगा..” मुस्करा के रीत बोली. मैंने एक ग्लास में बर्फ के दो क्यूब डाले और स्प्राईट ढालना शुरू कर दिया..
” हे मैं चलूँ…ये बैग अन्दर दे के आती हूँ…कुछ काम वाम भी होगा…बस पांच मिनट में…” गुड्डी बैग ले के अन्दर जाते हुए बोली.

” अरे कोई जल्दी नहीं है तुम दस मिनट के बाद आना…” रीत हंसते हुए बोली.
उसे कोल्ड ड्रिंक देते हुए मैंने कहा …” स्प्राईट बुझाए प्यास…बाकी सब बकवास…”
” एक दम …चिल्ड ग्लास उसने अपने गोरे गालों पे सहलाते हुए दरवाजे की और देखा…गुड्डी ने अन्दर घुसते हुए दरवाजा बंद कर इया था और टेरेस पे हम दोनों अकेले थे.” लेकिन मेरी प्यास तो कोई और बुझा सकता है…” अब वो मेरे सीने सेसट गयी थी.
” एक दम …तुम जब कहोगी तब…और मना करोगी तब भी…भाभी पे देवर का ये हक़ तो होता ही है…” मैं बोला. मेरे हाथ उसके उरोज पे अब निधड़क पहुँच गए थे.
रीत ने एक सिप ली और होंठो में आइस क्यूब को ले के गोल गोल घुमाने लगी. वो कोमल रसीले गुलाबी लिपस्टिक लगे..प्यारे प्यारे होंठ…

चेहरा उठा के उसने क्यूब मुझे आफर की.
हामरे होंठ चिपक गए अब क्यूब मेरे मुंह के अन्दर थी. मैं सुए हलके हलके रोल कर रहा था. मैंने अपने हाथ से ग्लास अब उसके होंठो पे लगा के थोड़ा ज्यादा ही…अबकी उसे बड़ी सिप लेनी पड़ी…
” हे ये कुछ अलग सा….” वो मुंह बना के बोली…
” अरे इम्पोर्टेड है…” मैंने समझाया…
” सही कहते हो ..चन्दा भाभी के यहाँ सब कुछ इम्पोर्टेड होता है….” वो मुस्करा के बोली और एक सिप ले लिया.
मेरी बात इत्ती तो सही थी की उसमें पडा वोदका कैनिबिस इम्पोर्टेड था…और आधे से ज्यादा तो वही था.
” हे तुम भी तो लो…”
और एक सिप मैंने भी ली लेकिन छोटी सी…हाँ जहाँ उसने होंठ लगाए थे …उसे दिखा के मैंने भी वही होंठ लगाए. ग्लास पे उसकी लिपस्टिक के निशान भी थे.
उसे मैंने चूम लिया.
तुम ना….वो अब मेरे सीने से और चिपक गयी…और मैंने अपने मुंह का आइस क्यूब सीधे उसके होंठों पे रख दिया..और थोड़ी देर में क्यूब अन्दर था उसके मुंह में और हमारे होंठ चिपके थे हलके हलके किस करते…मेरा हाथ अब खुल के उसके उरोजों को मसल रहा था…
थोड़ी देर में मैं पूरी ग्लास…मैंने पिला दी.
कुछ मैंने भी पी…लेकिन रीत के अन्दर जो गयी…वो दो तीन पेग वोदका कैनेबिस के बराबर थी.
मेरा एक हाथ उसके नितम्बों पे था और दूसरा उरोज पे. तभी आइस क्यूब ..मेरे मुंह से उसके मुंह में जाते…अब वो छोटा भी हो गया था…उसके होंठों से फिसल के…खुले गले वाले कुरते के अन्दर ..
“हे हे ..प्लीज निकालो इसे…” वो बोली.
मेरे हाथ तुरंत उसके कुरते के अन्दर….अब तक उभारों का रस ऊपर से मैं ले रहा था पर अब सीधे…मैंने बर्फ के टुकड़े को शुक्रिया….सीधे लेसी ब्रा के अन्दर…उपफ जैसे बादल के दो टुकडे उसने अपनी ब्रा में कैद कर रखे हों…मेरा तो मन कर रहा था की बस दबा दूं मसल दूं रगड़ दूं लेकिन….मैंने पहले बस ज़रा सा हलके से सहलाया…

वो सिहर के काँप गयी.
फिर दबा दिया…क्या जोबन था…क्या जवानी के फूल खिले थे…बर्फ का टुकड़ा तो पकड़ में आ गया था लेकिन..मैंने उसे हथेली में दबा के …उसके उभारों पे फेरा…
वो सिसक रही थी.
मैंने दो उँगलियों के बिच बर्फ के टुकडे को दबा के उसके निपल पे….पल भर में वो कड़े हो गए थे. एक दम खड़े…फिर दूसरे निपल पे …
वो अपनी जांघे सिकोड़ रही थी..भींच रही थी…उसकी आँखे बंद हो रही थीं…
” हे निकाल लो ना प्लीज ..अभी नहीं…बाद में…प्लीज…अभी म्यूजिक सिस्टम भी तो चेक करना है….हे छोड़ो ना..”
मैंने हाथ बाहर निकाल लिया लेकिन एक बार कस के दबा दिया…वो मारे जोश के पत्थर हो रहे थे. अन्दर चलने के पहले मैंने एक बार फिर से खुल के उसके रसीले होंठो पे किस किया और एक ग्लास कोल्ड ड्रिंक ले लिया.

म्यूजिक सिस्टम की एक्सपर्ट थी वो. झट से उसने सेट कर दिया…
” कोई सी डी होती तो वो बोली ..लगा के चेक कर लेते…”
” सही कह रही हो…देखता हूँ…” मैं बोला.
कल रात मैंने देखा …..मैंने बोला
तभी मिल गयीं वहीँ मेज के नीचे….और एक मैंने उसे दे दिया…
झुक के वो लगा रही थी लेकिन मेरी निगाहें उसके नितम्बों से चिपकी थीं…गोल मटोल परफेक्ट ..लगता था उसकी पजामी को फाड के निकल जायेंगी…और उसके बीच की दरार…एक दम कसी कसी…बस मन कर रहा था ठोंक दूं ….उसी दरार में दाल दूं साली के….क्या मस्त गांड थी…
तब तक वो उठ के खड़ी हो गयी.
उस की आँखों ने नशा झलक रहा था.
झुक के उसने ग्लास उठाया और होंठों से खुद लगा के एक बड़ी सी सिप ले ली.
क्या जोबन ..रसीले.बस मन कर रहा था की दबा दूं चूस लूं..और तब तक म्यूजिक चालू हो गया….

क्या जोबन ..रसीले.बस मन कर रहा था की दबा दूं चूस लूं..और तब तक म्यूजिक चालू हो गया…. अनारकली डिस्को चली….
अरे छोड़ छाड के अपने सलीम की गली ..
अरे होए होए …. छोड़ छाड के अपने सलीम की गली

साथ साथ रीत भी थिरकने लगी..मैं खड़ा देख रहा था …
वात्सव में वो मस्त नाचती थी…क्या थिरकन ..रिदम…और जिस तरह अपने जोबन को उभारती थी….जोबन थे भी तो उसके मस्त गदराये….दुपट्टा उसने उतार के टेबल पे रख दिया था.
उसने मेरा हाथ पकड़ के खिंच लिया…बोली..
.ये दूर दूर से क्या देख रहे हो आओ ना…और साथ में टेबल से फिर वोदका मिली स्प्राईट का एक बड़ा सिप ले लिया.
साथ मैं भी थिरकने लगा.
मुझे पता भी नहीं चला कब मेरा हाथ उसके हिप्स पे पहुंचा. पहले तो हलके हलक…फिर कस के मैं उसके नितम्बों को सहला रहा था रगड़ रहा था…वो भी अपने कुल्हे मटका रही थी …कमर घुमा रही थी …कभी हम दोनों पास आ जाते कभी दूर हो जाते …उसने भी मुझे पकड़ लिया था और ललचाते हुए..अपने रसीले जोबन कभी मेरे सीने पे रगड़ देती और कभी दूर हटा लेती…
मुझसे नहीं रहा गया..मैंने उसे पास खीँच के अपना हाथ उसकी पाजामी में डाल दिया ..कुछ देर तक वो लेसी पैंटी के ऊपर और फिर सीधे उसके चूतड पे…
मेरे एक हाथ ने उसे जकड रहा था ..दूसरा उसके नितम्बों के ऊपर…सहला रहा था मसल रहा था…उसे पकड़ के ऊपर उठा रहा था,
उसे ने कुछ ना नुकुर की लेकिन मेरे होंठो ने उन्हें कस के जकड लिया और थोड़ी देर में ही मेरी जीभ उसके रसीले मुंह के अन्दर थी…
मेरे होंठ कस के उसके रसीले होंठ चूस रहे थे…फिर सिर्फ उसके मोटे मोटे रसीले निचले होंठ को मैंने अपने होंठ में जकड लिया..और हलके से काट लिया….
वो कुनुम्नाई उसे दर्द भी हुआ….लेकिन मैं भी तो अपने आपे में नहीं था…
मुझे लगा की मैं हवा में उड़ रहा हूँ…कभी लगता की बस जो कर रहा हूँ …वाही करता रहूँ …इस कैटरीना के होंठ चूसता रहूँ…
वो भी साथ दे रही थी.
उसके होंठ भी मेरे होंठ चूस रहे थे…उसकी जीभ मेरी जीभ से लड़ रही थी..और सबसे बढ़ कर …वो अपना सेंटर…योनी स्थल ..काम केंद्र…मेरे तनय हुए जंग बहादुर से खुल के रगडा रही थी…
चंदा भाभी ने मुझे रात को जो ट्रेनिग दी थी..बस मैंने उसका इस्तेमाल शुरू कर दिया…मल्टिपल अटैक …एक साथ मेरे होंठ उसके होंठ चूस रहे थे…मेरा एक हाथ उसका जोबन मसल रहा था तो दूसरा उसके नितम्बों को रगड़ रहा था…मेरे मोटा खूंटा सीधे उसके सेंटर पे…
वो पिघल रही थी ..सिसक रही थी…

म्यूजिक सिस्टम पे ममता शर्मा गा रही थीं..
मुझको हिप हाप सिखा दे..
बीट को टाप करा दे…
थोड़ा सा ट्रांस बजा दे…
मुझको भी चांस दिला दे..

और हम लोगों का डांस अब ग्राइंडिंग डांस में बदल गया था. बस हम लोग एक दूसरे को पकड़ के सीधे सेंटर पे सेंटर रगड़ रहे थे दोनों की आँखे बंद थी…मैं ने बीच में एक दो सिप और उसको लगवा दी…वो ना ना करती लेकिन मैं ग्लास उसके होंठो से लगा के अन्दर ..

हम लोग खुल के ड्राय हम्पिंग कर रहे थे..
वो दीवाल की और मुड़ी और दीवाल का सहारा लेके .मेरे तन्नाये हथियार पे सीधे अपने भरे भरे निपम्ब उसकी दरार…मैं पागल हो रहा था मेरे हाथ बस उसकी कमर को सहारा दे रहे थे…और मेरी कमर भी म्यूजिक की धुन पे …गोल गोल…एक दम उसके नितम्बों को रगड़ती हुयी..
फिर वो एक पल के लिए मुड़ी …उसने मुझे एक फ्लाइंग किस दिया..और जब तक मैं सम्हालता मेरे सर को पकड़ के एक कस के किस्सी मेरे होंठी की ले ली और फिर मुड के दीवाल के सहारे…अब वो अपने उभार दीवाल पे रगड़ रही थी..जोर जोर से चूतड मटका रही थी…फिर वो बगल में पड़े पलंग पे पे झुक गयी…
म्यूजिक के साथ उसके नितम्ब और उभार दोनों मटक रहे थे…जैसे वो डागी पोज में हो

ये वही पलंग पे था जहां कल रात मैंने चन्दा भाभी को तीन बार

मैंने झुक के उसके उभार पकड़ लिए हलके से और गाने के साथ हाथ फिराने लगा…साथ में मेरा खूंटा अब पाजामी के ऊपर से ही…
वो झुकी थी और गाना बज रहा था…
होगी मशहूर अब तो
तेरी मेरी लव स्टोरी.
तेरी ब्यूटी ने मुझको
मारा डाला छोरी….( और मैंने झुक के उसके गाल की एक कस के बाईट ले ली )
थोड़ा सा दे अटेनशन,
मिटा दे मेरी टेंशन ..( मैं अब कस कस के उसकी चूंची मसल रहा था…)
आज तेरा बदन है…
तेरी टच में जलन है..
तू कोई आइटम बाम्ब है
मेरा दिल भी गरम है

और वो फिसल के मेरी बांहों से निकल गयी. और वैसे ही मुड के पलंग पे अब पीठ के बल हो गयी. अभी भी वो धुन के साथ अपने उभार उछाल रही थी…कुल्हे मटका रही थी…मुस्करा रही थी. उसकी आँखों में एक दावत थी एक चैलेंज था…मैंने मुस्करा के उसके उभारों को टाईट कुरते के ऊपर से ही कस के चूम लिया..मेरी दोनों टाँगे उसकी पलंग से लटक रही टांगों के बीच में थीं …मेरा एक हाथ उसका कुरता ऊपर सरका रहा था और दूसरा पाजामी के नाड़े पे…
गाना बज रहा था..
वो लेटे लेटे डांस कर रही थी और मैं भी…

तू कोई आइटम बाम्ब है
मेरा दिल भी गरम है
ठंडा ठंडा कूल कर दे…
ब्यूटी फूल भूल कर दे

और मैंने एक झटके में पाजामी का नाडा खींच के नीचे कर दिया..
उसने अपनी टाँगे भींचने की कोशिश की पर मैंने अपने टाँगे पहले ही बीच में फंसा रखी थीं…मैंने उसे और पहिला दिया उअर पजामी एक झटके में कुल्हे के नीचे कर दिया..
क्या मस्त लेसी गुलाबी पैंटी थी…पैंटी क्या बस थांग थी एक दम चिपकी हुयी एक खूब पतली पट्टी सी..
मेरा हाथ सीधे उसके अन्दर …और उसकी परी के उपर …एकदम चिकनी मक्खन …मैंने हलके हलके सहलाना शूरू कर दिया..
और दूसरा हाथ कुरते को उठा के ऊपर कर चुका था…गुलाबी लेसी ब्रा में छुपे गोरे गोरे गोरे कबूतरों की झलक मिल रही थी…लेकिन जिसने मुझे पागल कर दिया वो तह उन कबूतरों के चोंच ..गुलाबी कड़े..मटर के दाने ऐसे..
कल रात भाभी ने सिखाया था…अगर एक बार परी हाथ में आ के पिघल गयी तो समझो लड़की हाथ में आ गयी.

मेरे हथेली अब रीत की परी को…प्यार से हलके हलके सहला रही थी…मसल रही..
वो अब चूतड पटक रही थी …गाने की धुन पे नहीं मेरे हाथ की धुन पे…गाना तो बंद हो चुका था..
मेरे अंगूठे ने बस हलके से उसके क्लिट को छुआ…वो थोड़ा छिपा थोडा खुला लेकिन स्पर्श पाते ही कडा होने लगा…दूसरा गाना चालू हो गया था…
शीला की जवानी माई नेम इस शीला …शीला…शीला की जवानी

मुझे बस लग रहा था की मेरे नीचे कैट ही है…

मेरे होंठों ने ब्रा के ऊपर से ही झांकते चोंच को पकड़ लिया और चुभलाने लगे…
मेरा अंगूठा और तरजनी थांग को सरका के अब उसकी खुली परी को हलके हलके मसल रहे थे….
अब मुझसे नहीं रहा गया…मैंने के झटके में उसकी पजामी घुटने के नीचे खींच दी और उसकी लम्बी लम्बी गोरी टाँगे मेरे कंधे पे…मेरा जंग बहादुर भी बस उसकी जांघो पे ठोकर मार रहा था वो खूब गीली हो रही थी..अब मुझसे नहीं रहा गया मैंने एक उंगली की टिप अन्दर घुसाने की कोशिश की…लेकिन…एकदम कसी…
मेरा दूसरा हाथ अब खुल के जोबन मर्दन कर रहा था…
मैं चौंक गया…गुड्डी ने तो कहा था की इसका तीन तीन के साथ और …कल जो चंदा भाभी ने ट्रेनिग दी थी…और जितना मैंने पढ़ा था…देखा था..
मैंने दुबारा कोशिश की…ज्यादा से ज्यादा उंगली या कभी कैंडल…गयी …होगी…और अबकी मेरी टिप घुस ही गयी..
वो अपने नितम्ब रगड़ रही थी सिसक रही थी…मुझे कस के अपने बांहों में भींचे थी…उसके लम्बे नाखून मेरी पीठ में गड़े हुए थे…

ड्राइव् मी क्रेजी..माई नेम इज शीला..
नो बड़ी हैज गाट बाड़ी लाइक मी….
एक दम मैंने अपनी कैट के ..सेक्सी रीतू के कान में कहा और कस के चूम लिया..
मेरे हाथों ने अब उसके उभारों को ब्रा से आजाद कर दिया था…

तभी आवाज आई …”कहाँ हो…आप लोग..”
गुड्डी बुला रही थी.

ड्राइव् मी क्रेजी..माई नेम इज शीला..
नो बड़ी हैज गाट बाड़ी लाइक मी…. एक दम मैंने अपनी कैट के ..सेक्सी रीत के कान में कहा और कस के चूम लिया..
मेरे हाथों ने अब उसके उभारों को ब्रा से आजाद कर दिया था…
तभी आवाज आई …”कहाँ हो…आप लोग..”
गुड्डी बुला रही थी.
मैंने तुरंत उसकी थांग सरका दी. रीत ने झट से उठ के अपनी पजामी बांध ली. मैंने ब्रा ठीक कर के वापस कुरता नीचे कर दिया.
हम दोनों उठ गए. उस के चेहरे पे कुछ खीझ, कुछ फ्रस्ट्रेशन…कुछ मजा झलक रहा था.
मुझे लगा कहीं वो गुस्सा तो नहीं..
निकलने के पहले उसके कंधे पे छु के मैं मुस्करा के बोला…
” हे …एक बार जाने के पहले…हाँ तो बोल दे …”
” ना…” वो जैसे गुस्से में बोली.
“और …फिर मेरी और मुड के मुझे कस के पकड़ के बोली …” न..एक बार नहीं…सौ बार…हाँ सिर्फ एक बार हाँ क्यों बोलूंगी…हाँ हाँ हाँ ..जब तुम चाहो..और हाँ मैं कहीं जा नहीं रही हूँ..” जब तक मैं समझता मेरे होंठों पे कस के किस लेके अपने रसीले नितम्ब मटकाते वो बाहर निकल पड़ी.
पीछे पीछे मैं….
बाहर निकलते ही गुड्डी ने पूछा…तुम लोग कर क्या रहे थे…मैंने तीन बार आवाज दी.
” अरे यार म्यूजिक सिस्टम ठीक कर रहे थे…फिर सीडी मिल गयी तो लगा के चेक कररहे थे ….तुम्ही ने तो कहा था की गाने वाने का…गाने की आवाज में ..कैसे सुनाई देता…” रीत ने ही बात सम्हाली.
” हाँ गाने की आवाज तो आ रही थी…सलीम की गली वाला…एक दम लेटेस्ट हिट..तो बाहर छत पे लगाओ न.” गुड्डी बोली.
और उन दोनों ने मिल के ५ मिनट में म्यूजिक सिस्टम बाहर सेट कर दिया.
मैं सारे सी डी का कलेक्शन ले आया.
लेकिन गुड्डी फिर पीछे पड़ गयी…
” हे तुम लोग बातें क्या कर रहे थे…”
रीत ने मुस्करा के मेरी और शरारत से देखा और फिर कस के गुड्डी की पीठ पे कस के एक धौल जमाते हुए बोली..
” अरे यार ..तेरा ये …” वो” …ना इत्ता सीधा नहीं है जीत्ता तुम कहती है वो.”
मेरा दिल धक् धक् …होने लगा कहीं ये ..
लेकिन गुड्डी ही बोली…
‘ ये मेरे…’वो’…थोड़े ही..”
लेकिन उसकी बात काट के रीत बोली…” चल दिल पे हाथ रख के कह दो,…ये तेरे …”वो” नहीं है…
गुड्डी पहले तो शरमाई फिर पैंतरा बदल के बोली…” आप भी ना.. बताइये न…”
” मैं इसको बता रहा था की देवर का मतलब क्या होता है…देवर को देवर क्यों कहते हैं…आखिर मेरी भाभी है, तो ये तो बताना पड़ेगा…”मैंने बात बदली.
” क्यों कया बताया…” अब वो रीत से पूछ रही थी.
” जाने दो तुम अभी बच्ची हो,,,,छोटी हो…” रीत उसे चिढाने में लगी थी. ” चलो अच्छा बता दो..” तिरछी मुस्कान से उसने मुझे इशारा किया.
” ना तुम बुरा मन जाओगी…” मैं ने गुड्डी से कहा.
गुड्डी मेरे सीने पे मुक्के से मार रही थी…” नहीं बताओगे…तो बहोत घाटा होगा…”
” अच्छा बाबा मुझे मरना नहीं है..मैं अपनी रीत को बता रहा था की देवर को देवर क्यों कहते है…” मैं मुसकरा के बोला.
” वो तो मैंने सुन लिया…बोलो ना क्यों कहते है…” गुड्डी बहोत जोर दे रही थी.
” ना न…बड़ी ऐसी वैसी बात है…तुम बुरा मान जाओगी…” मैंने फिर टाला
” नहीं मानूंगी…” वो बोली.
” बता दो यार…अब ये खुद कह रही है तो और वैसे भी हाईस्कूल के बाद तो इंटर कोर्स करना ही पड़ता है…” हंस के रीत बोली.
‘ सुनो..देवर मतलब…देवर अपने भाभी से बार बार ..बार बस कहता है इसलिए…” हंस के मैं बोला.
” क्या कहता…है यार बताओ न…हमीं तीनों तो हैं…” गुड्डी बोली.

“देवर मतलब…जो भाभी से बार बार बोले…दे बुर …दे बुर…इसी से पडा देवर..” हंस के मैं बोला.

एक पल के लिए गुड्डी शर्मा गयी फिर बोल्ड होके मुझ से, रीत की और इशारा कर के पूछा…
” तो इस भाभी ने दिया की नहीं….”गुड्डी मुस्कराती हुयी बोली.
” न साफ मना कर दिया…बोली तुम बुरा मान जाओगी…” मैंने बुरा सा मुंह बनाया.
” च च्च च्च …बिचारे …” गुड्डी बोली और मेरे और रीत के बीच आके खड़ी हो गयी और रीत की ओर फेस करके बोली…” न ना ..मैं कतई बुरा नहीं मानूंगी….कैसी भाभी हो आप ….”
” जी नहीं…” रीत ठसके से बोली…और मेरे कमर को हाथ से कस के पकड़ लिया और गुड्डी से कहने लगी…” भाभी का हक़ सबसे पहले होता है…और मुझे बुरा वुरा मानने का डर नहीं किसी का..आखिर देवर को ट्रेन कर..तैयार कर पक्का कर..तो भाभी ही का तो पहला हक़ हुआ देवर पे…”

तब तक चन्दा भाभी किचेन से बाहर निकल के आयीं..हंसती…और इशारे से मुझे अपने साथ अपने कमरे में चलने को कहा. उनके हाथ में एक पीतल का बड़ा सा डब्बा था. मैं चल दिया.
मुझे डब्बा दिखा के उन्हों ने अलमारी खोली.” आज सुबह से तुम्हारे लिए बना रही थी…२२ हर्ब्स पड़ती हैं इसमें.साथ में..शिलाजीत…अश्वगंधा…मूसली पाक…..स्वर्ण भस्म..केसर…शतावर…गाय के घी में बनाया है इसको ..सम्हाल के रख रही हूँ याद करके जाने के पहले ले जाना साथ और उससे भी जयादा..आज रात को एक खा लेना…”
मैंने देखा…करीब २ दर्जन लड्डू नार्मल साइज से थोड़े ही छोटे..
” एक अभी खा लूं…” मैंने पूछा.
” एकदम वैसे भी तुमने कल रात इतनी मेहनत की थी…इतना तो बनता ही है…मुझे तो लगता था की अब तुम्हारी सारी मलाई निकल गयी लेकिन..ससुराल में हो होली का मौका है क्या पता..” ये कह के उन्होंने एक लड्डू मुझे खिला दिया और डब्बा अलमारी में रख के बंद कर दिया.
“चलो बाहर चलो वरना वो सबा न जाने क्या सोच रही होंगी…” चंदा भाभी बोलीं.
वास्तव में रीत और गुड्डी की निगाहें बाहर दरवाजे पे ही लगी थीं.
” मैंने सूना है की कुछ लोगों को आज एक नया देवर और किसी को नयी सेक्सी भाभी मिल गयी…” भाभी ने पहले रीत और फिर मुझे देखते हुए हंस कर कहा.
” एक दम …” हंस के रीत बोली और कहा “मैं वही कह रही थी…की भाभी का हक़ देवर पे सबसे पहले होता है…”
” अरे वो तो है ही…उसमे कुछ पूछने की बात है….फिर अभी तो इसकी शादी नहीं हुयी है इसलिए भाभी का तो पूरा हक़ है…और तुम्हारी भी शादी नहीं हुयी है…इस लिए इसका भी हक़ बटाने वाला कोई नहीं है..लेकिन तुम्हारा इसका एक और रिश्ता है…”
रितू के चेहरे पे प्रश्नवाचक चिन्ह बन आया…
” अरे ये बिन्नो का देवर है…” चन्दा भाभी बोलीं..
” वो तो मुझे मालूम है उनसे कित्ती बार मिली हूँ..मेरी बड़ी दी की तरह है…इस लिए तो ये मेरे देवर हुए..” रितू ने कहा…
” हाँ लेकिन एक बात और मुझे कल पता चली…” चन्दा भाभी बोलीं.
मेरे भी समझ में नहीं आया…की चंदा भाभी क्या इशारा कर रही है..
“क्या ….” रीत और गुड्डी साथ साथ बोलीं… ” अरे बिन्नो की एक ननद है …गुड्डी के साथ की …समझो ..सगी नही..है” चन्दा भाभी बोलीं.
” ममेरी…” बिना सोचे समझे मैं बोला.
” देखा ..कैसे प्यार से याद कर रहे हैं उसे…ये…तुम्हारे देवर…” चंदा भाभी रीत से बोली फिर बात आगे बढाई…” कैसे बोलूं…वो इनसे…बल्कि ये उससे फंसे है…अब ये बिचारे सीधे साधे…कोई इस उम्र की ..अगर जोबन की …तो कोई कैसे मना करेगा…है न…”
दोनों समझ गयी थीं की भाभी मुझे खींच रही हैं और दोनों ने एक साथ हुंकारी भरी…एकदम सही …
चंदा भाभी ने फिर रीत से पूछा…
” तो वो अगर बिन्नो की ननद लगी तो तुम्हारी भी तो ननद लगेगी.”
” एकदम …’ वो बोली और मुझे देख के मुस्करा दी.
” और ये ..जो तुम्हारी ननद के यार…बोलो…” चंदा भाभी ने रीत को उकसाया,
” नंदोई…” वो शैतान बोली.
” और तुम क्या लगोगी इन की ….” चंदा भाभी ने फिर टेस्ट लिया. लेकिन रीत भी रिश्ते जोड़ने में एक्सपर्ट हो गयी थी.
” मैं …उस रिश्ते से तो इन की सलहज..लगूंगी…ये मेरे नंदोई और मैं इनकी सलहज …और वो रिश्ता तो भाभी से भी ज्यादा …फिर तो डबल धमाका.”
रीत हंसते हुए बोली. ….अब वो रिश्ते जोड़ने में एक्सपर्ट हो गयी थी ख़ास तौर से अगर रिश्ता रंगीन हो.
” लेकिन एक खास बात और….गुड्डी जा रही है ना इसके साथ आज …तो वो गुड्डी की भी तो अब…” बात चन्दा भाभी ने शुरू की लेकिन पूरी रितू ने की.
” हाँ…मुझे मालूम पड़ गया है…वो तो अब इसकी भी …ननद लगेगी..” रीत चिढाने का मौका क्यों चुकती.
गुड्डी कुछ शरमाई, कुछ झिझकी कुछ खुश हुयी…लेकिन बात अब भी मेरे समझ में नहीं आ रही थी..
” तो गुड्डी लौटेगी तो उस को भी साथ ले आएगी…अब उस के भैया कम यार तो ट्रेनिग पे चले जायेंगे…वहां वो बिचारी कहाँ ढूंढेगी…और मन तो करेगा ही जब उसको एक बार स्वाद लग जाएगा…” चन्दा भाभी अब फूल फार्म पे थीं.
” तभी तो..गर्मी की छुट्टी भी है..एक महीने रह लेगी नहीं होगा तो गावं भी ले चलेंगे ..उसको..” गुड्डी भी मेरे खिलाफ गैंग में ज्वाइन हो गयी थी.
” एकदम आम के बगीचे, अरहर और गन्ने के खेत का मजा…और जानती हो रीत वो बिचारी बड़ी सीधी है…किसी को मना नहीं करती …सबके सामने खोलने को तैयार..तो फिर जित्ते तुम्हारे भाई हों या और जो भी हों सबको अभी से बता दो…”
” ये तो बहोत अच्छी बात बताई आप ने भाभी…थोड़ी बिलेटेड होली मना लेंगे वो…उस का भी स्वाद बदल जाएगा..वैरायटी भी रहेगा…” रीत दुष्ट..लेकिन गुड्डी उससे भी एक हाथ आगे..
” अरे राकी भी तो है अपना वो भी तो भाई की तरह है..” गुड्डी बोली.
” और क्या चौपाया है तो क्या हुआ..है कितना तगड़ा, जोरदार..” रीत आँख नचा के मुझे देखती बोली.

तब मेरे समझ में आया दूबे भाभी का एक लाब्राडोर कुत्ता …कल शाम को भी उसका नाम लगा के चन्दा भाभी ने एक से एक जबरदस्त गालियाँ सुनाई थीं..
” लेकिन वो ना माने तो नखड़ा करे तो…” गुड्डी ने शंका जताई…

” अरे तो हम लोग किस मर्ज की दवा हैं..अपने भाई से नैन मटक्का..और हम्मरे भाइयों से छिनालपना….साल्ली को जबरदस्ती झुका देंगे घुटनों के बल …हाथ पैर बाँध देंगे और पीछे से राकी…एक दो बार हाथ पैर पटकेगी..लेकिन जहाँ तीन चार दिन लगातार …आदत पड़ जायेगी उसको …” रीत ने समझाया.
” और क्या पूरे ८ इंच का है उसका…और एक बार जब अन्दर घुसाके …मोटी गाँठ पड़ जायेगी अन्दर …हाथ पैर खोल भी दोगी…लाख चूतड पटकेगी…निकलेगा थोड़ी..जबतक…दो चार बार के बाद तो राकी को खुद ही आदत लग जायेगी…जहां उसको निहुराया…आगे वो खुद सम्हाल लेगा.” चंदा भाभी फगुना रही थीं. एक का जवाब देना मुश्किल था यहाँ तो तीनों एक साथ…मैं चुपचाप मुस्कराता रहा.

” लेकिन मैं ये कह रही थी की जब इसकी बहन पे तुम्हारे सारे भाई चढ़ेंगे …तो ये क्या लगेगा तुम्हारा..” चन्दा भाभी ने बात पूरी की.
दोनों बड़े जोर से खिल्खिलायीं… रीत मुझे देख के हंस के बोली…
” साल्ले …बहन…चो…”
बात और शायद बढ़ती लेकिन चंदा भाभी ने पहली बार मेरे चेहरे को ध्यान से देखा और बड़े जोर से मुस्करायीं…
मेरे पास आके उन्होंने अपनी ऊँगली से मेरी ठुड्डी पे रख के मेरा चेहरा उठाया और गौर से देखने लगीं.हाथ फेर के गाल पे उनकी उंगली मेरी नाक के नीचे भी गयी और मुसकरा के वो बोलीं,
” चिकनी चमेली…”


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