Holi me chudai part 4

  तब तक दरवाजा खुला और भाभी ( गुड्डी की मम्मी) और गुड्डी अंदर आ गए..भाभी भी चन्दा भाभी का साथ देती हुयीं बोलीं.. ” एक दम और जायगा तो दोनों ओ...


 तब तक दरवाजा खुला और भाभी ( गुड्डी की मम्मी) और गुड्डी अंदर आ गए..भाभी भी चन्दा भाभी का साथ देती हुयीं बोलीं..

” एक दम और जायगा तो दोनों ओर से पेट में ही ना…”
वो दोनों तो हंस ही रही थीं …वो दुष्ट गुड्डी भी मुस्करा के उन लोगों का साथ दे रही थी…
पता चला की क्राइसिस ये थी की …रेल इन्क्वायरी से बात नहीं हो पा रही थी की गाडी की क्या हालत है ओर दो लोगों की बर्थ भी कन्फर्म नहीं हुयी थी. नीचे कोई थे जिन की एक टी टी से जान पहचान थी लेकिन उन से बात नहीं हो पा रही थी.
मैं डरा की कहीं इन लोगों का जाने का प्रोग्राम गड़बड़ हुआ तो मेरी तो सारी प्लानिंग फेल हो जायेगी.
“अरे इत्ती सी बात भाभी आप मुझसे कहतीं.” मैंने हिम्मत बंधाते हुए कहा ओर एक दो लोगों को फ़ोन लगाया.
” बस दस मिनट में पता चल जाएगा…भाभी आप चिंता ना करें.”
” चलो मैं तो इतना घबडा रही थी…” चैन की साँस लेते हुए वो चली गयी लेकिन साथ में गुड्डी को भी ले गयीं. “चल पैकिंग जल्दी ख़तम कर ओर अपना सामान भी पैक कर ले कहीं कुछ रह ना जाय..”
मैंने खाना खतम किया ही था की फ़ोन आ गया.
मैंने जाके भाभी को बता दिया. गुड्डी अपने छोटे भाई बहनों को तैयार कर रही थी ओर चन्दा भाभी भी वहीँ बैठी थीं.
” गाडी पंद्रह मिनट लेट है तो अभी चालीस मिनट है…स्टेशन पहुँचने में २० मिनट लगेगा. तो आप लोग आराम से तैयार हो सकते हैं…ओर…
” नहीं हम सब लोग तैयार हैं…गब्बू तुम जाके रिक्शा ले आ.” अपने छोटे लडके से वो बोलीं.
” ओर …रहा आपकी बर्थ का ..तो पिछले स्टेशन को इन लोगों ने खबर कर दिया था …तो १९ ओर २१ नंबर की २ बर्थें मिल गई हैं. आप सब लोगों को वो एक केबिन में एडजस्ट भी कर देंगे. स्टेशन पे वो लोग आ जायेंगे …मैं भी साथ चलूँगा तो सब हो जाएगा..”
” अरे भैया ये ना…बताओ अब ये सीधे स्टेशन पे मिलेंगे …अगर तुम ना होते ना…लेकिन मान गए बड़ी पावर है तुम्हारी. मैं तो सोच रही थी की…ज़रा मैं नीचे से सब से मिल के आती हूँ.” ओर वो नीचे चली गईं.
चन्दा भाभी ने गुड्डी को छेड़ते हुए कहा “अरे असली पावर वाली तो तू है…जो इत्ते पावर वाले को अपने पावर में किये हुए है..”
वो शंरमाई मुस्कराई ओर बोली हाँ ऐसे सीधे जरूर हैं ये जो…
मैंने चंदा भाभी से कहा अच्छा भाभी चलता हूँ.
” मतलब …” गुड्डी ने घूर के पूछा.
” अरी यार ९ बज रहा है…इन लोगों को छोड़ के मैं रेस्ट हाउस जाउंगा…ओर फिर सुबह तुम्हे लेने के लिए…हाजिर…”.
” जी नहीं …”गुर्राते हुए वो बोली.” क्या करोगे तुम रेस्ट हाउस जाके…पहले आधा शहर जाओ फिर सुबह आओ..कोई जरुरत नहीं…फिर सुबह लेट हो जाओगे…कहोगे देर तक सोता रह गया…तुम कहीं नहीं जाओगे बल्कि मैं भी तुहारे साथ स्टेशन चल रही हूँ. दो मिनट में तैयार हो के आई.”
ओर ये जा वो जा…
चंदा भाभी मुस्कराते हुए बोलीं, अच्छा है तुम्हे कंट्रोल में रखती है…”
मेरे मुंह से निकल गया लेकिन मेरे कंट्रोल में नहीं आती. तब तक वो तैयार हो के आ भी गयी. गुलाबी शलवार सूट में गजब की लग रही थी. आके मेरे बगल में खड़ी हो गयी.

क्या मस्त लग रही हो…मैंने हलके से बोला…लेकिन दोनों नें सुन लिया. गुड्डी ने घूर के देखा ओर चन्दा भाभी हलके से मुस्करा रही थीं. मुझे लगा की फिर डांट पड़ेगी. लेकिन गुड्डी ने सिर्फ अपने सीने पे दुपट्टे को हलके से ठीक कर लिया ओर चंदा भाभी ने बात बदल कर गुड्डी से बोला,
” हे तू लौटते हुए मेरा कुछ सामान लेती आना, ठीक है. ”
” एकदम..क्या लाना है…”
” बताती हूँ लेकिन पहले पैसा तो लेले …” ” अरे आप भी ना…खिलखिलाती हुयी, मेरी और इशारा करके वो बोली, ‘ये चलता फिरता एटीएम् तो है ना मेरे पास.’ ओर मुझे हड़काते हुए उसने कहा,
” हे स्टेशन चल रहे हैं कहीं भीड़ भाड़ में कोई तुम्हारी पाकेट ना मार ले, पर्स निकाल के मुझे दे दो. “चन्दा भाभी भी ना…मेरे बगल में खड़ी लेकिन उनका हाथ मेरा पिछवाडा सहला रहा था. वो अपनी एक उंगली कस के दरार में रगड़ती बोलीं,
” अरे तुझे पाकेट की पड़ी है मुझे इनके सतीत्व की चिंता हैं कहीं बीच बाजार लुट गया तो…ये तो कहीं मुंह नहीं दिखाने रहेंगे..”
गुड्डी मुस्कराती हुयी मेरे पर्स में से पैसे गिन रही थी. तभी उसने कुछ देखा ओर उसका चेहरा बीर बहूटी हो गया. मैं समझ गया ओर घबडा गया की कही वो किशोरी बुरा ना मान जाए. जब वो कमरे से बाहर गयी थी तो उसके ड्रावर से मैंने एक उसकी फोटो निकाल ली थी उसके स्कूल की आई कार्ड की थी, स्कूल की यूनिफार्म में ..बहोत सेक्सी लग रही थी. मैं समझ गया की मेरी चोरी पकड़ी गई.
” क्यों क्या हुआ पैसा वैसा नहीं है क्या…” चन्दा भाभी ने छेड़ा.
मेरी पूरे महीने की तनखाह थी उसमें.
” हाँ कुछ ख़ास नहीं है लेकिन ये है ना चाभी .” मेरे पर्स से कार्ड निकाल के दिखाते हुए कहा.
” अरी उससे क्या होगा पास वर्ड चाहिए. ” चन्दा भाभी ने बोला.
” वो इनकी हर चीज का है मेरे पास…” ठसके से प्यार से मुझे देख मुस्कारते हुए वो कमल नयनी बोली.
उसकी बर्थ डेट ही मेरे हर चीज का पास वर्ड थी, मेल आईडी से ले के सारे कार्ड्स तक…
लेकिन चन्दा भाभी के मन में तो कुछ ओर था..’ अरे इनके पास तो टकसाल है…टकसाल.” वो आँख नचाते बोलीं.
” इनके मायके वाली ना…जिसका गुण गान आप लोग खाने के समय कर रही थीं. ” गुड्डी कम नहीं थी.
” और क्या एक रात बैठा दें …तो जित्ता चाहें उत्ता पैसा…रात भर लाइन लगी रहेगी. ” चंदा भाभी बोलीं.
” ओर अभी साथ नहीं है तो क्या एडवांस बुकिंग तो करी सकते हैं ना…” गुड्डी पूरे मूड में थी. फिर वो मुझे देख के बोलने लगी,
कुछ लोगों को चोरी की आदत लग जाती है, मैं समझ रहा था किस बारे में बात कर रही है फिर भी मैं मुस्करा के बोला,
” भाभी ने मुझे आज समझा दिया है, अब चोरी का ज़माना नहीं रहा सीधे डाका डाल देना चाहिए.
फिर बात बदलने के लिए मैंने पूछा ” भाभी आप कह रही थीं ना…बाजार से कुछ लाना है.”
” अरे तुम्ह क्या मालूम है यहाँ की बाजार के बारे में, गुड्डी तू सुन…”
” हाँ मुझे बताइये ..ओर वैसे भी इनके पास पैसा वैसा तो है नहीं…” हवा में मेरा पर्स लहराते गुड्डी बोली.
” वो जो एक स्पेशल पान की दूकान है ना स्टेशन से लौटते हुए पड़ेगी.”
” अरे वही जो लक्सा पे है ना ..जहां एक बार आप मुझे ले गयी थीं ना. ” गुड्डी बोली.
” वही दो जोड़ी स्पेशल पान ले लेना ओर अपने लिए एक मीठा पान…”
” लेकिन मैं पान नहीं खाता…आज तक कभी नहीं खाया.” मैंने बीच में बोला.
” तुमसे कौन पूछ रहा है…बीच में जरूर बोलेंगे…” गुड्डी गुर्रायी. ये तो बाद में देखा जाएगा की कौन खाता है कौन नहीं. हाँ ओर क्या लाना है…”
” कल तुम इनके मायके जाओगी ना… तो एक किलो स्पेशल गुलाब जामुन नत्थ्था के यहाँ से. बाकी तेरी मर्जी.”
पर्स में से गुड्डी ने मुड़ी तुड़ी एक दस की नोट निकाली ओर मुझे देती हुयी बोली, ” रख लो जेब खर्च के लिए तुम भी समझोगे की किस दिलदार से पाला पडा है.”
तब तक नीचे से बच्चोंकी आवाज आई..रिक्शा आ गया…रिक्शा आ गया.
हम लोग नीचे आ गए. मैंने सोचा की गुड्डी के साथ रिक्शे पे बैठ जाउंगा लेकिन वो दुष्ट जान बूझ के अपनी मम्मी के साथ आगे के रिक्शे पे बैठ गयी ओर मुझे मुड के अंगूठा दिखा रही थी.
मुझे बच्चों के साथ बैठना पडा.
गनीमत थी की गाडी ज्यादा लेट नहीं थी इसलिए देर तक इंतजार नहीं करना पडा. बर्थ भी मिल गयी ओर स्टेशन पे स्टाफ आ भी गया था…उसके पापा मम्मी इत्ते खुश थे की…लौटते समय मैंने उसके उभारों की और देखा. हम स्टेशन से बाहर निकल आये थे…ओर मुझे देख के मुस्करा के उसने दुपट्टा ओर ऊपर एक दम गले से चिपका लिया ओर मेरी ओर सरक आई ओर बोली खुश.
” एक दम ” ओर मैंने उसकी कमर में हाथ डाल के अपनी ओर खींच लिया.
” हटो ना ..देखो ना लोग देख रहे हैं…” वो झिझक के बोली.
” अरे लोग जलते हैं …तो जलने दो ना…जलते हैं ओर ललचाते भी हैं. ” मैंने अपनी पकड़ ओर कस के कर ली.
” किस से जलते हैं …” बिना हटे मुस्करा के वो बोली.
” मुझ से जलते हैं की कितनी सेक्सी, खूबसूरत, हसीं …”
मेरी बात काट के मुस्करा के वो बोली, : इत्ता मस्का लगाने की कोई जरूरत नहीं…
” ओर ललचाते तुम्हारे..”.मैंने उसके दुपट्टे से बाहर निकले किशोर उभारों की ओर इशारा किया…
धत …दुष्ट और उसने अपने दुपट्टे को नीचे करने की कोशिश की पर मैंने मना कर दिया…

” तुम भी ना चल्लो तुम भी क्या याद करोगे…लोग तुम्हे सीधा समझते हैं…” मुस्करा के वो बोली ओर दुपट्टा उसने ओर गले से सटा लिया.
“मुझसे पूछें तो मैं बताऊँ की कैसे जलेबी ऐसे सीधे हैं…” ओर मुझे देख के इतरा के मुस्करा दी.
” तुम्हारे मम्मी पापा तो…” मेरी बात काट के …वो बोली..’ हाँ सच में स्टेशन पे तो तुमने …मम्मी पापा दोनों ही ना…सच में कोई तुम्हारी तारीफ करता है तो मुझे बहोत अच्छा लगता है.” ओर उसने मेरा हाथ कस के दबा दिया.
” सच्ची.’
सच्ची. लेकिन रिक्शा करो या ऐसे ही घर तक ले चलोगे.” वो हंस के बोली.
चारो ओर होली का माहौल था. रंग गुलाल की दुकानें सजी थीं. खरीदने वाले पटे पद रहे थे. जगह जगह होली के गाने बज रहे थे. कहीं कहीं जोगीड़ा गाने वाले…कहीं रंग लगे कपडे पहने..तब तक हमारा रिक्शा एक मेडिकल स्टोर के सामने से गुजरा ओर वो चीखी रोको रोको…
” क्यों कया हुआ …कुछ दवा लेनी है क्या…” मैंने सोच में पड के पुछा.
” हर चीज आपको बतानी जरूरी है क्या…” वो आगे आगे मैं पीछे पीछे …
:” एक पैकेट माला डी ओर एक पैकेट आई पिल ….” मेरे पर्स से निकाल के उसने १०० की नोट पकड़ा दी.
रिक्शे पे बैठ के हिम्मत कर के मैंने पूछा…” ये…”
” तुम्हारी बहन के लिए है जिसका आज गुण गान हो रहा था…क्या पता होली में तुम्हारा मन उस पे मचल उठे…तुम ना बुद्धू ही हो बुद्धू ही रहोगे….मेरे गाल पे कस के चिकोटी काट के वो बोली.” तुमसे बताया तो था ना की….आज मेरा लास्ट डे है …तो क्या पता …कल किसी की …लाटरी निकल जाए….:”
मेरे ऊपर तो जैसे किसी ने एक बाल्टी गुलाबी रंग डाल दिया हो हजारों पिचारियां चल पड़ी हों साथ साथ
मैं कुछ बोलता उस के पहले वो रिक्शे वाले से बोल रही थी….
‘अरे भैया बाएं बाएं….हाँ वहीँ गली के सामने बस यहीं रोक दो….चलो उतरो.”
गली के अन्दर पान की दूकान …तब मुझे याद आया जो चंदा भाभी ने बोला था…
दूकान तो छोटी सी थी…लेकिन कई लोग…रंगीन मिजाज से बनारस के रसिये…
लेकिन वो आई बढ़ के सामने ..दो जोड़ी स्पेशल पान..पान वाले ने मुझे देखा ओर मुस्करा के पूछा…
सिंगल पावर या फुल पावर …मेरे कुछ समझ में नहीं आया…मैंने हडबडा के बोल दिया…फुल पावर.
वो मुस्करा रही थी ओर मुझ से बोली ” अरे मीठे पान के लिए भी तो बोल दो…एक…”
” लेकिन मैं तो खाता नहीं …” मैंने फिर फुसफुसा के बोला.
पान वाला सर हिल्ला हिला के पान लगाने में मस्त था. उस ने मेरी और देखा तो गुड्डी ने मेरा कहा अनसुना कर के बोल दिया…
” मीठा पान दो …”
” दो …मतलब..” मैंने फिर गुड्डी से बोला तो वो मुस्करा के बोली “घर पहुँच के बताउंगी की तुम खाते हो की नहीं. ”
मेरे पर्स से निकाल के उसने ५०० की नोट पकड़ा दी. जब चेंज मैंने ली तो मेरे हाथ से उसने ले लिया ओर पर्स में रख लिया. रिक्शे पे बैठ के मैंने उसे याद दिलाया की भाभी ने वो गुलाब जामुन के लिए भी बोला था.
” याद है मुझे गोदौलिया जाना पडेगा, भइया थोडा आगे मोड़ना. ”
रिक्शे वाले से वो बोली.
” हे सुन यार ये चन्दा भाभी ना…मुझे लगता है की लाइन मारती हैं मुझपे..” मैं बोला.
हंस के वो बोली…” जैसे तुम काम देव के अवतार हो…गनीमत मानो की मैंने थोड़ी सी लिफ्ट दे दी …वरना…” मेरे कंधे हाथ रख के मेरे कान में बोली…” लाइन मारती हैं तो दे दो ना..अरे यार ससुराल में आये हो तो ससुराल वालियों पे तेरा पूरा हक़ बनता है…वैसे तुम अपने मायके वाली से भी चक्कर चला चाहो तो मुझे कोई ऐतराज नहीं है..”
” लेकिन तुम …मेरा तुम्हारे सिवाय किसी ओर से….”
” मालूम है मुझे…बुद्धू राम तुम्हारे दिल में क्या है…यार हाथी घूमे गाँव गाँव जिसका हाथी उसका नाम..तो रहोगे तो तुम मेरे ही..किसी से कुछ …थोड़ा बहूत …बस दिल मत दे देना…”
” वो तो मेरे पास है नहीं कब से तुम को दे दिया…”
” ठीक किया…तुमसे कोई चीज संभलती तो है नहीं…तो मेरी चीज है मैं संभाल के रखूंगी..तुम्हारी सब चीजें अच्छी हैं सिवाय दो बातों के…”
तब तक मिठाई की दूकान आ गयी थी ओर हम रिक्शे से उतर गए.
” गुलाब जामुन एक किलो…” मैंने बोला.
” स्पेशल वाले…” मेरे कान में वो फुसफुसाई.
‘ स्पेशल वाले…’ मैं ने फिर से दुकान दार से कहा…
” तो ऐसा बोलिए ना…लेकिन रेट डबल है …” वो बोला.
” हाँ ठीक है…” फिर मैंने मुड के गुड्डी से पूछा हे एक किलो चन्दा भाभी के लिए भी ले लें कया…”
” नेकी ओर पूछ पूछ .” वो मुस्कराई.
” एक किलो ओर… अलग अलग पैकेट में.” मैं बोला.
पैकेट मैंने पकडे ओर पैसे उसने दिए. लेकिन मैं अपनी उत्सुकता रोक नहीं पा रहा था.
” हे तुमने बताया नहीं की स्पेशल क्या…क्या ख़ास बात है बताओ ना…”
‘सब चीज बताना जरुरी है तुमको..इसलिए तो कहती हूँ तुम्हारे अंदर दो बातें बस गड़बड़ हैं बुद्धू हो ओर अनाड़ी हो …अरे पागल…होली में स्पेशल का क्या मतलब होगा,..वो भी बनारस में…”
सामने जोगीरा चल रहा था…एक लड़का लड़कियों के कपडे पहने ओर उसके साथ …रास्ता रुक गया था. वो भी रुक के देखने लगी…ओर मैं भी… सामने जोगीरा चल रहा था…एक लड़का लड़कियों के कपडे पहने ओर उसके साथ …रास्ता रुक गया था. वो भी रुक के देखने लगी…ओर मैं भी…
जोगीरा सा रा सा रा ..ओर साथ में सब लोग बोल रहे थे जोगीरा सारा रा…तनी धीरे धीरे डाला होली में तानी धीरे डाला होली में…
तब तक उसने हम लोगों की और देखा ओर एक नयी तान छेड़ी…

” अरे कौन सहर में सूरज निकला कौन सहर में चन्दा…अरे कौन सहर में सूरज निकला कौन सहर में चन्दा…
अरे गुलाबी दुपट्टे वाली को किसने टांग उठा के चोदा…जोगीरा सा रा सा रा ”

गुड्डी को लगा की शायद मुझे बुरा लगा होगा तो मेरा हाथ दबा के बोली…’अरे चलता है यार होली है…” ओर मेरा हाथ पकड़ के आगेले गयी.
एक बुक स्टाल पे मैं रुक गया. कोई होली स्पेसल है क्या मैंने पूछो ना.
” हौ ना…ख़ास बनारसी होली स्पेशल अबहियें आयल कितना चाही..” मैंने गुड्डी की ओर मुड` के देखा उसने उंगली से चार का इशारा किया…ओर मैंने ले लिया. उसी के बगल में एक वाइन शाप भी थी. गुड्डी की निगाह वहीँ अटकी थी.
हे ले लूं क्या एक दो बोतल बीयर ”
” तुम्हारी मर्जी. पीते हो क्या…”
” ना लेकिन …”
” तो ले लो ना..तुम्हारे अन्दर यही गड़बड़ है सोचते बहोत हो. अरे जो मजा दे वो कर लेना चाहिए ऐसा टाइम कहाँ बार मिलता है…घर से बाहर होली के समय..”
मैंने दो बाटल बीयर ले ली
रिक्शे पे मैंने पढ़ना शुरू किया …क्या मस्त चीज थी…एक दम खुली…मस्त टाईटीलें, होली के गाने ओर सबसे मजेदार तो राशि फल थे…वो भी पढ़ रही थी साथ साथ लेकिन उसने खींच के रख दिया…
” घर चल के पढेंगे…” तब तक मुझे कुछ याद आया…
” हे तुम्हारे घर में तो ताला बंद है चाभी भी मम्मी ले गयीं तो हम रात को सोयेंगे कहा…”
” जहां मैं सोउंगी…” वो मुस्करा के बोली.
‘ सच में तब तो…’ मैं खुश हो के बोला…पर मेरी बात काट के वो बोली. इत्ती खुश होने की बात नहीं है …अरे यार एक रात की बात है…चन्दा भाभी के यहाँ…उनका घर बहोत अच्छा है….कल तो तुम्हारे साथ चल ही दूँगी.” तब तक हम लोग घर पहुँच गए थे.
वो मुझे चंदा भाभी के घर सीधे ले गयी.
वो मास्टर बेडरूम में थीं. एक आलमोस्ट ट्रांसपरेंट सी साडी पहने वो भी एक दम बदन से चिपकी, खूब लो कट ब्लाउज…उन्हें देखते ही गुड्डी चहक के बोली…
” देखिये आपके देवर को बचा के लायी हूँ इनका कोमार्य एक दम सुरक्षित है…हाँ आगे आप के हवाले वतन साथियों…मैं अभी जस्ट कपडे बदल के आती हूँ ” ओर वो मुड गई.
“हेहे…लेकिन…ये तो मैंने सोचा नहीं ..”
” क्या …” वो दोनों साथ साथ बोलीं.
” अरे यार मैं …मैं क्या कपड़ा पहनूंगा…ओर सुबह ब्रश …वो भी नहीं लाया…”
“ये कौन सी परेशानी की बात है कुछ मत पहनना…. चंदा भाभी बोलीं.
” सही बात है आपकी भाभी का घर है…जो वो कहें…ओर वैसे भी इस घर में कोई मर्द तो है नहीं…भाभी हैं मैं हूँ…गुंजा है …तो आपको तो लड़कियों के ही कपडे मिल सकते हैं. ओर मेरे ओर गुंजा के तो आपको आयेंगे नहीं हां ..” भाभी की और आँख नचा के वो कातिल अदा से बोली. और मुड के बाहर चल दी.

आइडिया तो इसने सही दिया…लेकिन आप शर्ट तो उतार ही दो …क्रश हो जायेगी ओर शाम से पहने होगे..अन्दर बनियाइन तो पहना होगा ना तो फिर…चलो…”
ओर मेरे कुछ कहने के पहले ही भाभी ने शर्ट के बटन खोल दिए. ओर खूँटी पे टांग दी.
बेड रूम में एक खूब चौड़ा डबल बेड लगा था. उस पे एक गुलाबी सी सिल्केन चादर दो तकिये, कुछ कुशन, बगल में एक मेज एक सोफा ओर ड्रेसिंग टेबल …साथ में एक लगा हुआ बाथ रूम..
” छोटा है ना..” भाभी ने मुझे कमरे की ओर देखते हुए कहा…
लेकिन मेरी निगाह तब तक उनके छलकते हुए उभारों की ओर चली गयी थी. मुस्करा के मैं बोला …” जी नहीं एक दम बड़ा है…परफेक्ट.”
” मारूंगी तुमको ..लगता है पिटाई करनी पड़ेगी.”
” हाँ मेरी ओर से भी…” ये गुड्डी थी.
उसने घर में पहनने वाली फ्राक पहन रखी थी जो छोटी भी थी ओर टाईट भी…जिस तरह उसके उभार छलक रहे थे साफ लग रहा था की उसने ब्रा नहीं पहन रखी है.
” अरे वाह आपको टॉप लेस तो कर ही दिया पूरा ना सही …आधा ही सही.” गुड्डी आते ही चालू हो गई . पर चन्दा भाभी कुछ सोच रही थीं.
” आप लुंगी तो पहन लेते हैं ना…” वो बोलीं.
” हाँ कभी कभी…है क्या ..” मैंने पूछा…मैं भी पैंट पहन के कभी सो नहीं पाता था.
” हाँ …नहीं …वो गुंजा के पापा जब आते हैं ना तो कभी मेरी…मतलब वो भी कित्ते कपडे लायें …ओर दो चार दिन के लिए तो आते हैं…तो मेरी एकाध पुरानी साडी की लुंगी बना के …रात भर की तो बात होती है…”
” अरे पहन लेंगे ..ये ..और बाकि…. साडी क्या ये जो आप पहनी हैं वही क्या बुरी है…” गुड्डी ने बोला.
मुझे भी मजाक सूझा. मैंने भी बोला…ठीक है भाभी आप जो साडी पहने हैं वही ओर आखिर मैं भी तो दो कपडे में ही रहूँगा…ओर आप फिर भी…
ठीक है चलिए पहले आप पैंट उतारिये…भाभी ने हंस के कहा.
” एक दम नहीं” गुड्डी इस समय मेरे साथ आ गयी थी. “ये सही कह रहे हैं…पहले आप की साडी उतरेगी..आखिर आप ने ही तो साडी की लुंगी बनाने का आफर दिया था. ”
हंस के वो बोलीं …” सही की बच्ची…कल तुमको ओर इनको यहीं छत पे नंगे ना नचाया तो कहना..ओर वो भी साथ साथ..”
गुड्डी ने मुझे आँख से इशारा किया मैं कौन होता था उसकी बात टालने वाला. जब तक चन्दा भाभी समझें समझें उनकीं साड़ी का आँचल मेरे हाथ में था.
वो मना करती रहीं पर मैं जानता था इनका मना करना कितना असली था कितना बनावटी.
ओर दो मिनट के अन्दर उनकी साडी मेरे हाथ में थी. लेकिन अब भाभी के हाथ में मेरी बेल्ट थी ओर थोड़ी देर में मेरी पैंट की बटन..मैंने झट से उनकी साडी लुंगी की तरह लपेट ली. तब तक मेरी पैंट उनके हाथ में थी ओर वो उन्होंने गुड्डी को पास कर दिया. उसने स्लिप पे खड़े फिल्डर की तरह मेरे देखने से पहले ही किक कर लिया ओर शर्ट के साथ वो भी खूँटी पे.
जब मैंने अपनी और देखा तब मुझे अहसास हुआ की गुड्डी ओर चंपा भाभी मुझे देख के साथ साथ क्यों मुस्करा रही थीं. साडी उनकी लगभग ट्रांसपरेंट थी ओर मैंने ब्रीफ भी एक दम छोटी वी कट …ओर स्किन कलर की …शेप तो साफ साफ दिख ही रहा था ओर भी बहोत कुछ…सब दिखता है के अंदाज़ में…
चंदा भाभी ने अपनी हंसी छुपाते हुए गुड्डी को हड़काया,
” अच्छा चल बहोत देख लिया चीर हरण…कल होली में पूरी तरह होगा…पर ये बता की तुम दोनों ने बाज़ार में खाली मस्ती ही की या जो मैंने सामान लाने को कहा था वो लायी. जरूर भूल गयी होगी. ”
” नहीं कैसे भूलती, आपके देवर जो थे साथ में थे,…अभी लाती हूँ.” जैसे ही वो मुड़ी भाभी ने कहा “अरे सुन ना…इनकी शर्ट पैंट सम्हाल के रख देना.”
” एकदम …” उसने खूँटी से खींचा ओर ले गई बछेडी की तरह. फिरदरवाजे पे खड़ी होके मेरी शर्ट मुझे दिखा के बोलने लगी…
” सम्हाल के ..मतलब यहाँ पे गुलाबी …और यहां पे गाढा नीला..”
” हे मेरी सबसे फेवरिट शर्ट है…” लेकिन वो कहाँ पकड़ में आती..ये जा वो जा…
थोड़ी देर में वो बैग ले के आई ओर भाभी को दिखाया . उसने भाभी के कान में कुछ कहा ओर भाभी ने झांक के बोला….’ अरे अब तो कल मजा आजायेगा.”
मैं समझ गया की उसने बियर की बाटल दिखाई होंगी.
पान लायी की नहीं..
लायी लेकिन एक तो यहाँ खाते नहीं ..मालुम है वहां दूकान पे बोलने लगे मैं…तो खाता नहीं…
तब तक भाभी पान के पैकेट खोल चुकी थीं..चांदी के बर्क में लिपटा स्पेशल पान …
” अरे ये किसकी पसंद है…”
” ओर किसकी…इन्ही की…” गुड्डी ने हंसते हुए कहा… ” मैं तो इनको अनाड़ी समझती थी लेकिन ये तू पूरे खिलाड़ी निकले …” भाभी हंसने लगी.
” आप ही ने तो कहा था की स्पेसल पान तो मैंने…’ मैंने रुकते रुकते बोला.
.” लेकिन उसने पूछा होगा ना की…” भाभी बोलीं…
” हाँ पूछा था की सिंगल या फुल …तो मैंने बोल दिया…फुल…” मैंने सहमते हुए कहा.
” ठीक कहा…ये पान सुहागरात के दिन दुलहन को खिलाते हैं…पलंग तोड़ पान…” वो हंसते हुए बोली.
” अरे तो खिला दीजिये ना इन्हें ये किस दुलहन से कम हैं ओर…सुहागरात भी हो जायेगी…” गुड्डी छेड़ने का कोई चांस नहीं छोड़ती थी.
” भई, अपना मीठा पान तो..मैं….क्यों खाना है…” बड़ी अदा से उसने पान पहले अपने होंठों से, फिर उभारों से लगाया और मेरे होठों के पास ले आई और आँख नचा के पुछा,
‘ लेना है…लास्ट आफर …फिर मत कहना तुम की मैंने दिया नहीं…” जिस अदा से वो कह रही थी..मेरी तो हालत ख़राब हो गयी..’वो’ ९० डिग्री का कोण बंनाने लगा.
” नहीं ..मैंने तो कहा था ना तुमसे की …मैं….” पर वो दुष्ट मेरी बात अनसुनी कर के उसने पान को मेरे होंठों से रगडा, और उसकी निगाह मेरे ‘तम्बू’ पे पड़ी थी. और फिर उसने अपने रसीले गुलाबी होंठों को धीरे से खोला और पूरा पान मुझे दिखाते हुए गडब कर गयी …जैसा मेरा ‘वो’ घोंट रही हो..
भाभी की निगाहें ‘ होली स्पेशल’ मैगजीन पे जमीं थीं.
मैंने निकाल के उन्हे दिखाया…इसमें होली के गाने, टाईटिलें, और सबसे मस्त होली के राशिफल दिए हैं.
” हे तू सूना पढ़ के …” उन्होंने गुड्डी से कहा. पर वो दुष्ट…उसने अपने मुंह में चुभलाते पान की और इशारा किया और राशिफल का पन्ना खोल के मुझे पकड़ा दिया.
” अरे तू भी तो बैठ ..मैंने उससे बोला. पर सोफे पे मुश्किल से मेरे भाभी के बैठने की जगह थी. भाभी ने हाथ पकड़ के उसे खींचा और वो सीधी मेरे गोद में…
‘ अरे ठीक से पकड़ ना लड़की को वरना बिचारी गिर जाएगी …” भाभी बोली..और मैंने उसकी पतली कमर को पकड़ लिया.
” तभी तो मैं कहती हूँ की तुम पक्के अनाडी हूँ अरे जवान लड़की को कहाँ पकड़ते हैं ये भी नहीं मालूम और उन्होंने मेरा हाथ सीधे उसके उभार पे रख दिया. मेरी तो लाटरी खुल गयी.
वो शरारती उसे कुछ नहीं फरक पड़ रहा था. उसने राशिफल के खुले पन्ने और भाभी की और इशारा करते हुए अपने उंगली कन्या राशि पे रख दी.
” भाभी सुनाऊं कन्या राशि…”
भाभी सुनाऊं कन्या राशि…”
” सुनाओ, लेकिन इसके बाद तुम दोनों का भी सुनूंगी..”
मैंने पढ़ना शुरू किया.
“कन्या राशी की भाभियाँ..आपके लिए आने वाले दिन बहूत शुभ हैं. आपका …और फिर मैं ठिठक गया..आगे जो लिखा था….
देख दोनों रही थीं क्या लिखा है…लेकिन पहल गुड्डी ने की. पान चुभलाते हुए वो बोली…अरे इता खुल कर तो भाभी ने शाम को तुम्हे तुम्हारी सो काल्ड बहन का हाल सुनाया..तो तुम उनसे शरमा रहे हो या मुझसे पढो जो लिखा है…भाभी ने भी बोला पढो ना यार…पूरा बिना सेंसर के जस का तस…
और मैंने फिर शुरू किया,

“आपके आने वाले दिन बहोत शुभ हैं..आपका ..थूक गटका मैंने और बोला..आपका लंड का अकाल ख़तम होने वाला है. इस होली में खूब मोटी मोटी पिचकारी मिलेगी. आपकी चोली फाड़ चूंचियाँ खूब मसली रगड़ी जायंगी और पिछवाड़े का बाजा बजने का भी पूरा मौका है…लेकिन न सबके लिए आपको इस फागुन में एक विशेष उपाय करना पडेगा. ध्यान से सुनें..
भाभी बोलीं, “सुनाओ ना कर लुंगी यार….”
” इस मैगजीन के आखिरी पन्ने पे दिए लंड पुराण का रोज पाठ करें सुबह और शाम जोर जोर से गा के…किसी कुवांरे देवर की नथ उतार दें भले ही ही आप को उसे रेप करना पड़े..और इस होली में होली से पहले किसी कुँवारी चूत की सिल तुडवाने में सहायता करें….फागुन में कम से कम दो चूत में उंगली करें…साल भर लंड देवता की आप पे कृपा रहेगी. कहने को तो आप कन्या राशी की हैं लेकिन आप बचपन से ही छिनाल हैं. इसलिए अगर आप अन्य कन्याओं को छिनाल बनाने में सहयाता करेंगी तो होलिका देवी की आप पे विशेष कृपा रहेगी. अपाकी होली बहोत जोर दार होगी. दिन की भी रात की भी बस देवर का दिल रख दें …” ये कह के मैंने उन की ओर देखा.
गुड्डी ने तुरंत भाभी से कहा…”अरे आपका ये कुंवारा कम कुँवारी देवर है ना…बस इसकी नथ उतार दीजिये…ओर आपका होली की भविष्यवाणी पूरी..”
” ओर वो सील तुडवाने वाली बात…” मैं क्यों पीछे रहता..गुड्डी शरमा गयी पर भाभी क्यों मौक़ा छोड़तीं. हंस के बोलीं है ना ये…
गुड्डी ने हंस के बात बदली ओर बोली…अच्छा चलो अपना सुनाओ.
नहीं पहले तुम्हारा शुरू करता हूँ मैंने बोला पर भाभी भी गुड्डी के साथ आखिर मैंने कर्क राशी का राशिफल पढ़ना शुरू किया.
” कर्क राशी के देवरों , जीजा ओर यारों के लिए..आप की पकड़ बहोत मजबूत होती है…( गुड्डी बोल पड़ी…कोई शक ..तब मैंने महसूस किया की मैंने उसके गदराये किशोर उभार बहोत कस के दबा रखे थे.) पकड़ सिर्फ हाथों की ही नहीं आगे से पीछे से आप जो भी पकड़ेगे उसे बहोत कस के घोंटेंगे…

भाभी ओर गुड्डी दोनों एक साथ कहकहा लगा के हंस पड़ीं.
” तभी तो मैं कहती थी की तुम्हारे ओर तुम्हारी बहन में कुछ ख़ास फरक नहीं है… वो आगे से लेती है तुम पीछे से लेते हो…” भाभी ने चिढाया.
” ओर क्या अच्छा हुआ हम लोगों ने इन्हें रोक लिया वरना जरोर कोई ना कोई हादसा हो जाता…” गुड्डी भी कम नहीं थी.
” अरे हादसा हो जाता या इनको मजा आ जाता. …लेकिन चलिए कोई बात नहीं…कल सूद समेत हम ओग आपके पिछवाड़े का भी हिसाब पूरा कर देंगें. ” ये चंदा भाभी थीं.
” और क्या कल आपका डलवाने का दिन होगा…और हम लोगों का डालने का…” गुड्डी बोली.
” और वैसे भी आपकी इस आदत से तो आपकी बहन की भी दूकान बढ़िया चलती होगी. जिसको जो पसंद हो..” चन्दा भाभी पूरे जोश में थीं.
” और क्या…एक के साथ एक फ्री..स्पेशल होली आफर ..” गुड्डी बड़ी जोर से खिलखिलाई.
” अरे साफ साफ क्यों नहीं कहती की…बुर के साथ गांड फ्री”
” और राशिफल में हैं की कस के …तो क्या…बहोत दिनों की प्रैकिट्स होगी. ”
” बचपन के गांडू हैं..ये…जैसे बहन इनकी बचपन की छिनार है. ”
दोनों की जुगलबंदी में मैं फँस गया था.
“अच्छा रुको ना वरना मैं आगे नहीं सुनाऊंगा..” झुंझला के मैं बोला.
” नहीं नहीं सुनाइये…अभी तो ये शुरुआत थी आग एदेखिये क्या बातें पता चलती हैं…तो चुप रह…” चन्दा भाभी ने प्यार से मेरे गाल सहलाते और गुड्डी को घुड़कते बोला.
” हाँ तो..” मैंने फिर शुरू किया…” आप की यह होली बहोत अच्छी भी होगी और बहोत खतरनाक भी. आप पहले ही किसी किशोरी के गुलाबी नयनों के रस रंग से भीग गए हैं ..इस होली में अप इस तरह रस रंग में भीगेंगे की ना आप छुडा पाएंगे ना छुड़ाना चाहेंगे…वो रंग आपके जीवन को रंग से पूरे जीवन के लिए रंग देगा. हाँ जिसने की शर्म उसके फूटे करम.इसलिए…पहल कीजिये थोड़ा बेशरम होइए उसे बेशरम बनाइये आखिर फागुन महीना ही शर्म लिहाज छोड़ने का है. ” एक पल रुक कर मैंने गुड्डी की और देखा.
वो गुलाल हो रही थी.
उसने अपनी बड़ी बड़ी पलकें उठाएँ और गिरा लीं.
हजार पिचकारियाँ एक साथ चल पड़ीं.
मैं सतरंगे रंगों में नहा उठा.
मैंने उस किशोरी की और देखा तो बस वो धीमे से बोलीं …धत्त और अपने होंठ हलके से काट लिए.
मेरी तो होली हो ली पर चन्दा भाभी बोलीं, ” अरे लाला आगे भी तो पढो ” और मैंने पढ़ना शुरू किया पर एक शरारत की, मैंने अपनी टाँगे उसकी लम्बी लम्बी टांगों के बीच में इस तरह फंसा दी की अब वो पूरी तरह ना सिर्फ मेरी गोद में थी बल्कि उसका मुंह मेरे चेहरे के पास था और वो मेरी और फेस कर के बैठी थी. मैंने आगे पढ़ना शुरू किया.
” कर्क राशि वालों के लिए विशेष चेतावनी …इस होली में अगर अप अपनी अपने भाई की या कैसी भी ससुराल की और रुख करेंगे तो …
” अब तो आही गए हैं अब क्या कर सकते हैं”…गुड्डी ने मुस्करा के मेरी बात काटते हुए कहा और चन्दा भाभी ने भी सर हिला के उस का साथ दिया. अमिएं आगे पढ़ना जारी रखा…
” …ससुराल की और रुख करेंगे तो आपका कौमार्यत्व खतरे में पड़ जाएगा. भाभिया…सालिया या आपकी चाहनेवालियाँ…अब मिल के नथ उतार देंगी. इसलिए अगर फट्नी है है चुपचाप फड़वा लीजिये
” …ससुराल की और रुख करेंगे तो आपका कौमार्यत्व खतरे में पड़ जाएगा. भाभिया…सालिया या आपकी चाहनेवालियाँ…अब मिल के नथ उतार देंगी. इसलिए अगर फट्नी है है चुपचाप फड़वा लीजिये..”
” एक दम सही बात कही है…ज्यादा उच्हल कद मत कीजिये गा चुपचाप डलवा लीजिएगा…” गुड्डी हंस के बोली.
” एक दम अपनी बहन की तरह वो भी बिचारी इन्ही की तरह सीधी हैं सब का दिल रख देती हैं…” चन्दा भाभी क्यों छोड़ती. मैं बिचारा..चुपचाप पढ़ता रहा…
” आप का आगे पीछे दोनों और का कुंवारापना उतर जाएगा. और भाभिया और उनके साथ वालियां…अबकी होली उनके नाम ही की है इसलिए जितने की कोशिश मत कीजिएगा…आपकी होली वो गत होगी जो कोई सोच भी नहीं सकता…रगडा जाएगा, हचक के डाला जाएगा इस लिए मौक़ा का फायदा उठाइये और बेशर्म हो के होली का मजा लीजिये. हाँ ये तीन उपाय कीजिएगा तो होलिका देवी आपके ऊपर खुश रहेंगी, आपकी रक्षा करेंगी और नयी पुरानी एक से एक मस्त चून्चियासी भी बात का बुरा ना मानियेगा. बल्कि उनकी हर बात बात मानियेगा…वरना जबरदस्त घाटा होगा… उनके पैरों पे सर रख के ..तभी पैरों के बीच की जन्नत मिलेगी.
दोनों ने एक साथ कहा…एक दम सही बात…याद रखियेगा…हर बात माननी होगी..
मैंने गुड्डी के सामने सर झुका के कहा एक दम मंजूर…
और तीसरी बात…मैंने पढ़ना जारी रखा…आखिरी बात…अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर वैसलीन लगा के रखियेगा सटासट जाएगा और न डालने वाले को तकलीफ होगी और हाँ भाभी का फगुवा उधार मत रखियेगा …जो मांगेंगी दे दीजिएगा….
” एक दम मुझे बस तुम्हारा वो माल चाहिए..लौटना तो साथ ले आना यहाँ के लोगों की चांदी हो जायेगी और उस का भी स्वाद बदल जाएगा…” भाभी ने छेड़ा.
” ठीक है ये भूल जायेंगे तो मैं याद दिला दूंगी…लौटूंगी तो तुम्हारे साथ ही…हाँ और स्वाद तो उसका बदलेगा…ही दोनों बल्कि तीनों मुंह का…” दुष्ट गुड्डी..
अच्छा रुक अब तेरा नंबर है राशिफल है सुनाने का क्या राशी है तुम्हारी. अब मेरा नंबर था..
“नहीं चलती हूँ अभी नींद आ रही है…कल…” फर्जी जुम्हाई लेते हुए उसने जो अंगड़ाई ली की मेरी तो…वो एक दम साफ साफ तना टन टना रहा था…बिचारी साडी कम लुंगी कित्ता रोकती.
” जी नहीं ..”मैंने उसकी दोनों टांगो के बीच फँसी अपनी टाँगे फैलायीं…तो वो बिचारी वहीँ अटक गई. मैंने कास के उसे खींचा तो अपब्की वो सीधे मेरे ‘ भाले’ पे…उसकी फ्राक भी खिंच तान में उठ गयी थी और ” वो’ सीधे सेंटर पे सेट था.
” सुनाओ सुनाओ …बोलने दो इसको …अरे इसकी मानोगे तो कुछ नहीं कर पाओगे…हम दोनों की तो सुन ली रानी जी और अब…”
” तुम्हारी राशि मीन है ना…”
” जैसे की मालूम नहीं है …तुमको.” कुछ अदा से कुछ नखड़े से वो बोली. मैं चालु हो गया…
” मीन राशि वाली कन्याओं के लिए ये होली बहोत शुभ है. उन्हें अबकी अपनी मन पसंद पिचकारी होली खेलने के लिए मिलेगी. और अबकी उनकी बाल्टी में सफेद रंग की बौछार खूब होगी. बस ये ध्यान दें की पिचकारी से खेलते समय पहले उसे ध्यान से पकड़ें और ये ही ध्यान रखें की सीधे साधे ढंग से डलवा लें…वरना कहीं गलत जगह पिचकारी और रंग दोनों जा सकता है.

“नहीं चलती हूँ अभी नींद आ रही है…कल…” फर्जी जुम्हाई लेते हुए उसने जो अंगड़ाई ली की मेरी तो…वो एक दम साफ साफ तना टन टना रहा था…बिचारी साडी कम लुंगी कित्ता रोकती.
” जी नहीं ..”मैंने उसकी दोनों टांगो के बीच फँसी अपनी टाँगे फैलायीं…तो वो बिचारी वहीँ अटक गई. मैंने कास के उसे खींचा तो अपब्की वो सीधे मेरे ‘ भाले’ पे…उसकी फ्राक भी खिंच तान में उठ गयी थी और ” वो’ सीधे सेंटर पे सेट था.
” सुनाओ सुनाओ …बोलने दो इसको …अरे इसकी मानोगे तो कुछ नहीं कर पाओगे…हम दोनों की तो सुन ली रानी जी और अब…”
” तुम्हारी राशि मीन है ना…”
” जैसे की मालूम नहीं है …तुमको.” कुछ अदा से कुछ नखड़े से वो बोली. मैं चालु हो गया…
” मीन राशि वाली कन्याओं के लिए ये होली बहोत शुभ है. उन्हें अबकी अपनी मन पसंद पिचकारी होली खेलने के लिए मिलेगी. और अबकी उनकी बाल्टी में सफेद रंग की बौछार खूब होगी. बस ये ध्यान दें की पिचकारी से खेलते समय पहले उसे ध्यान से पकड़ें और ये ही ध्यान रखें की सीधे साधे ढंग से डलवा लें…वरना कहीं गलत जगह पिचकारी और रंग दोनों जा सकता है.
हाँ लेकिन एक बात का ख्याल रखें जिसने आपको दिल दिया हो उसे आप अपनी बिल जल्द से जल्द दे दें वर्ना बिन पानी की मचली की तरह तड़पना हो सकता है. . इस फागुन में आपके लिए एक परमानेंट पिचकारी का इंतजाम हो सकता है. वो मोटी भी है, मस्त भी और रंग से भरपूर भी…उसे देख कर आपकी सारी सहेलियां जलेंगी…लेकिन आपस में बाँट कर लें. मीन तो पानी में ही रहती है तो आप प्यासी क्यों तड़प रही हैं . इस फागुन में लंड योग है बस थोड़ी सी हिम्मत कीजिये . एक पल का दर्द और जीवन भर का मजा…होली में और होली के पहले भी आप जोबन दान करें, आपके उभार सबसे मस्त हो जायेंगे…देखकर सारे लड़कों का खडा हो जाएगा और सारे शहर के लौंडे आप का नाम लेके मुठ मारेंगे.
हाँ उंगली करना बंद करिए और रोज सुबह चौथे पन्ने पे दिए गए लंड महिमा का गान अपने छाने वाले के हथियार के बारे में सोच कर करें. जल्द मिलेगा. और एक श्योर शोट तरीका…आपका वो थोड़ा शर्मीला हो थोड़ा बुद्धू हो तो बस…फागुन का मौसम है…आप खुद उसे एक जबर्दस्त किस्सी ले लें ..”
गुड्डी मेरी गोद में मेरी और फेस कर के बैठी थी. उसने दोनों हाथों से मुझे पकड़ रखा था और मैंने भी…मेरा एक हाथ हाथ उसकी कमर पे और दूसरा उसके किशोर कबूतर पे..बड़ी अदा से उस कातिल ने चन्दा भाभी की और मुस्करा के देखा और भाभी ने हंस के ग्रीन सिग्नल दे दिया. जब तक मैं समझूँ …उसने दोनों हाथों से मेरे सर को कास के पकड़ कर अपनी और खिंच लिया था और उस के दहकते मदमाते रसीले होंठ मेरे होंठों पे…पीछे से हंसती खिलखिलाती चंदा भाभी ने भी मेरा सर कस के पकड़ रखा था… उसके गुलाबी होंठों के बीच मेरे होंठ फंसे थे. मेरी पूरी होली तो उसी समय हो गयी. साथ साथ मेरे बेशर्म हाथों की भी चांदी हो गयी. वो क्यों पीछे रहते…दोनों उभार मेरी हथेलियों में ..पल भर के लिए होंठ हटे…
” हे भाभी खिला दूं …” पान चुभलाते उस सारंग नयनी ने पूछा.
” नेकी और पुछा पूछ …” हंस के भाभी बोलीं और कस के मेरा मुंह दबा दिया…मेरे होंठ खुल गए और अब किस्सी के साथ साथ…
मैं भी कस कस के चूम रहा था चूस रहा था…जैसे किसे भूखे नदीदे को मिठाई मिल गयी हो …मेरे लिए मिठाई ही तो थी. थोड़ा पान मेरे मुंह में गया लेकिन जब उस रसीली किशोरी ने मेरे मुंह में अपनी जीभ डाली तो साथ में उसका अधखाया, चूसा. उसके रस से लिथड़ा…मैं अपनी जीभ से उसकी जीभ छु रहा था चूस रहा था…
और जब थोड़ी देर में तूफान थोड़ा हल्का हुआ तो वो अचानक शर्मा गयी लेकिन हिम्मत कर के चिढाते हुए उसने चन्दा भाभी को देख के कहा…
” कुछ लोग कहते हैं मैं ये नहीं खाता …वो नहीं खाता…”
” एकदम…लेकिन ऐसे लोगों का यही इलाज है ..जबरदस्ती…” चन्दा भाभी ने उसकी बात में बात जोड़ी.
मैं मुंह में पान चुभला रहा था.
” चलती हूँ …बहोत नींद आ रही है…” उसने इस तरह अंगडाई ली की लगा उसके दोनों किशोर कबूतर उड़ के बाहर आ जायेंगे.
मेरा वो पहले ही सर उठाये हुआ था. अब साडी कम लुंगी से सर बाहर निकाल के झांकने लगा.
तिरछी निगाह से उसने ‘उसे’ देखा और शरमा गयी. लेकिन उसके उठने के पहले ही चन्दा भाभी बोलीं..
” अरे सुन तूने इनकी शर्ट और पैंट तो पहले ही सम्हाल के रख दी है…ये ब्रा और पैंटी कौन उतारेगा…ये भी उतार दे ना…”
” एकदम …” और जबतक मैं सम्हलूँ सम्हलूँ…मेरी बनियाइन उस के हाथ में. अगले पल मेरी साडी कम लुंगी में हाथ डाल के चड्ढी भी…
जैसे म्यान से कोई तलवार चमक के बाहर आ जाए वैसे …” वो’ …पतली सी भाभी की साडी कितना उसे छुपा पाती.
एक कातिल तिरछी सी निगाह उस पे डाल के वो छम से बाहर…
” अरी सुन …अभी आके तुझे और गुंजा को दूध देती हूँ सोने के पहले दूध जरुर पीना…”
वो देहरी पे रुक गयी. बात वो चन्दा भाभी से कर रही थी लेकिन बिजलियाँ मुझे पे गिया रही थी.
” नहीं …” मुंह बना के वो बोली. ” मैं बच्ची थोड़े ही हूँ. हाँ अपने इन देवर को जरुर पिला दीजिएगा…”
वो हंसी तो लगता है हजारों चांदी की घंटियाँ एक साथ बज गयीं.
” अरी दूध नहीं पीयेगी तो …दूध देने लायक कैसे बनेगी..” चन्दा भाभी भी ना…उसके उभारों पे हंस के हाथ फेरते हुए वो बोलीं और मुझे देख के कहा…
” और जहां तक इस का सवाल है…..इस को तो मैं दूध भी पिलाऊंगी और मलाई भी चखाउंगी.”
गुड्डी दूसरे बेडरूम में चली गयी और भाभी किचेन में …
किचेन से दूध के दो गिलास लेके वापस चन्दा भाभी मेरे बेडरूम में आयीं. मैं आराम से सोफे से हट के अब डबल बेड पे बैठा था. उन्होंने कमरे में आलमारी खोल के कोई बाटल खोली और कुछ दवा सी निकाल के दूध में डाली.
” हे भाभी ये…” मैंने पूछने की कोशिश की पर उन्होंने अपने होंठों पे उंगली रख के मुझे चुप रहने का इशारा किया. और दूध ले के बाहर चली गयीं.
थोड़े इतराने की…ना ना की आवाज आ रही थी. पर जब वो लौटीं तो उनके हाथ में दो खाली गिलास उनके मिशन के पूरे होने के संकेत दे रहे थे.

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