Holi me chudai part 2

  लेकिन वहां पहुंच कर तो मेरी फूँक सरक गयी. वहां सारा सामान पैक हो रहा था. भाभी की भाभी या गुड्डी की मां ( उन्हें मैं भाभी ही कहूंगा) ने बता...

 लेकिन वहां पहुंच कर तो मेरी फूँक सरक गयी. वहां सारा सामान पैक हो रहा था. भाभी की भाभी या गुड्डी की मां ( उन्हें मैं भाभी ही कहूंगा) ने बताया की रात साढ़े आठ बजे की ट्रेन से सभी लोग कानपुर जा रहे हैं. अचानक प्रोग्राम बन गया . अब मैं उन्हें कैसे बताऊँ की भाभी ने चिठ्ठी में क्या लिखा था और मैं क्या प्लान बना के आया था. मैंने मन ही अपने को गालियाँ दी और प्लानिंग कर बच्चू.

गुड्डी भी तभी कहीं बाहर से आई. फ्राक में वो कैसी लग रही थी क्या बताऊँ. मुझे देखते ही उसका चेहरा खिल गया. लेकिन मेरे चेहरे पे तो बारा बजे थे. बिना मेरे पूछे वो कहने लगी की अचानक ये प्रोग्राम बन गया की सब लोग होली में कानपुर जायेंगे इसलिए सब जल्दी जल्दी तयारी करनी पड़ गयी लेकिन अब सब पैकिंग हो गयी है.मेरा चेहरा और लटक गया था. हम लोग बगल के कमरे में थे. भाभी और बाकी लोग किचेन के साथ वाले कमरे में थे. गुड्डी एक बैग में अपने कपडे पैक कर चुकी थी. वो बिना मेरी और देखे हलके हलके बोलने लगी, जानते हो कुछ लोग बुध्धू होते हैं और हमेशा बुध्धू ही रहते हैं है ना.


वो उठ के मेरे सामने आ गयी और मेरे गाल पे एक हलकी सी चिकौटी काट के बोलने लगी,” अरे बुध्धू …सब लोग जा रहे हैं कानपुर मैं नहीं. मैं तुम्हारे साथ ही जाउंगी. पूरे सात दिन के लिए, होली में तुम्हारे साथ ही रहूंगी…और तुम्हारी रगड़ाई करुँगी. ” मेरे चेहरे पे तो १२०० वाट की रोशनी जगमग हो गयी. ” सच्ची'” मैं ख़ुशी से फूला नहीं समा रहा था. ” सच्ची ‘ और उस सारंग नयनी ने इधर उधर देखा और झट से मुझे बाहों में भर के एक किस्सी मेरे गालों पे ले लिया और हाथ पकड़ के उधर ले गयी जहां बाकी लोग थे.

मेरे कान में वो बोली, ” मम्मी को पटाने में जो मेहनत लगी है उसकी पूरी फीस लूंगी तुमसे. एकदम मैंने भी हलके से कहा. किचेन में भाभी होली के लिए सामान बना रहीं थीं. मैं उनसे कहने लगा की मैं अभी चला जाउंगा रेस्ट हाउस में रुका हूँ. कल सुबह आके गुड्डी को ले जाउंगा. वो बोलीं अरे ये कैसे हो सकता. अभी तो आप रुको खाना वाना खा के जाओ. मैं लेकिन तकल्लुफ करने लगा की नहीं भाभी आप लोगों से मुलाक़ात तो हो ही गयी. आप लोग भी बीजी हैं. थोड़ी देर में ट्रेन भी है. तब तक वहां एक महिला आयीं क्या चीज थीं.

गुड्डी ने बताय की वो चन्दा भाभी हैं. बहभी यानी गुड्डी की मम्मी की ही उम्र की होंगी…लेकिन दीर्घ नितंबा, सीना भी ३८ डी से तो किसी हालत में कम नहीं होगा लेकिन एक दम कसा कडा…मैं तो देखता ही रह गया. मस्त माल और ऊपर से भी ब्लाउज भी उन्होंने एक दम लो कट पहन रखा था.

मेरी और उन्होंने सवाल भरी निगाहों से देखा. भाभी ने हंस के कहा अरे बिन्नो के देवर …अभी आयें हैं और अभी कह रहे हैं जायेंगे. मजाक में भाभी की भाभी सच में उनकी भाभी थी और जब भी मैं भैया की ससुराल जाता था जिस तरह से गालियों से मेरा स्वागत होता था…और मैं थोड़ा शर्माता था इसलिए और ज्यादा..लेकिन चन्दा भाभी ने और जोड़ा,


” अरे तब तो हम लोगों के डबल देवर हुए तो फिर होली में देवर ऐसे सूखे सखे चले जाएँ ससुराल से ये तो सख्त नाइंसाफी है. लेकिन देवर ही हैं बिन्नो के या कुछ और तो नहीं हैं…”

” अब ये आप इन्ही से पूछ लो ना…वैसे तो बिन्नो कहती है की ये तो उसके देवर तो हैं हीं..उसके ननद के यार भी हैं इसलिए ननदोई का भी तो…” भाभी को एक साथी मिल गया था.

” तो क्या बुरा है घर का माल घर में …वैसे कित्ती बड़ी है तेरी वो बहना बिन्नो की शादी में भी तो आई थी…सारे गावं के लडके ..” चंदा भाभी ने छेड़ा.

गुड्डी ने भी मौक़ा देख के पाला बदल लिया और उन लोगों के साथ हो गयी.

” मेरे साथ की ही है…अभी दसवें का इम्तहान दिया है”

…” अरे तब तो एकदम लेने लायक हो गयी होगी…भैया….जल्दी ही उसका नेवान कर लो वरना जल्द ही कोई ना कोई हाथ साफ कर देगा…दबवाने वग्वाने तो लगी होगी…hay न हम लोगों से क्या शर्माना…”

” अरे तब तो एकदम लेने लायक हो गयी होगी…भैया….जल्दी ही उसका नेवान कर लो वरना जल्द ही कोई ना कोई हाथ साफ कर देगा…दबवाने वग्वाने तो लगी होगी…hay न हम लोगों से क्या शर्माना…”

…” अरे तब तो एकदम लेने लायक हो गयी होगी…भैया….जल्दी ही उसका नेवान कर लो वरना जल्द ही कोई ना कोई हाथ साफ कर देगा…दबवाने वग्वाने तो लगी होगी…है न हम लोगों से क्या शर्माना…”


लेकिन मैं शरमा गया. मेरा चेहरा जैसे किसी ने इंगुर पोत दिया हो. और चंदा भाभी और चढ़ गयीं.
” अरे तुम तो लौंडियो की तरह शरमा रहे हो. इसका तो पैंट खोल के देखना पड़ेगा की ये बिन्नो की ननद है या देवर.”
भाभी हंसने लगी और गुड्डी भी मुस्करा रही थी.
मैंने फिर वही रट लगाई , ” मैं जा रहा हूँ …सुबह आ के गुड्डी को ले जाऊँगा.”
” अरे कहाँ जा रहे हो रुको ना और हम लोगों की पैकिंग वेकिंग हो गयी है ट्रेन में अभी ३ घंटे का टाइम है और वहां रेस्ट हाउस में जा के करोगे क्या अकेले या कोई है वहां.” भाभी बोलीं.
” अरे कोई बहन वहन होंगी इनकी यहाँ भी. क्यों …साफ साफ बताओ ना अच्छा मैं समझी …दालमंडी ( बनारस का उस समय का रेड लाईट एरिया जो उन लोगों के मोहल्ले के पास ही था) जा रहे हो अपनी उस बहन कम माल के लिए इंतजाम करने…इम्तहान तो हो ही गया है उसका…ला के बैठा देना ..मजा भी मिलेगा और पैसा भी…लेकिन तुम खुद इत्ते चिकने हो होली का मौसम  ये बनारस है. किसी लौंडे बाज ने पकड़ लिया ना तो निहुरा के ठोंक देगा. और फिर एक जाएगा दूसरा आएगा रात भर लाइन लगी रहेगी. सुबह आओगे तो गौने की दुल्हिन की तरह टाँगे फैली रहेंगी. ” चंदा भाभी अब खुल के चालू हो गयी थीं.
” और क्या हम लोग बिन्नो को क्या मुंह दिखायेंगे …” भाभी भी उन्ही की भाषा बोल रहीं थीं. वो उठ के किसी काम से दूसरे कमरे में गयीं तो अब गुड्डी ने मोर्चा खोल लिया.
” अरे क्या एक बात की रट लगा के बैठे हो…जाना है जाना है. तो जाओ ना …मैं भी मम्मी के साथ कानपुर जा रही हूँ. थोड़ी देर नहीं रुक सकते बहोत भाव दिखा रहे हो…सब लोग इत्ता कह रहे हैं…”
” नहीं…वैसा कुछ ख़ास काम नहीं …मैंने सोचा की थोड़ा शौपिंग वापिंग ..और कुछ ख़ास नहीं…तुम कहती हो तो…” मैंने पैंतरा बदला.
” नहीं नहीं मेरे कहने वहने की बात नहीं है…जाना है तो जाओ …और शौपिंग तुम्हे क्या मालूम कहाँ क्या मिलता है यहाँ कल चलेंगे ना दोपहर में निकलेंगे यहाँ से फिर तुम्हारे साथ सब शौपिंग करवा देंगे. अभी तो तुम्हे सैलरी भी मिल गयीं होगी ना सारी जेब खाली करवा लूँगी” ये कह. के वो


थोड़ा मुस्कराई तो मेरी जान में जान आई.
चन्दा भाभी कभी मुझे तो कभी उसे देखतीं.
” ठीक है बाद में सब लोगों के जाने के बाद …” मैंने इरादा बदल दिया और धीरे से बोला.
” तुम्हे मालूम है कैसे कस के मुट्ठी में पकड़ना चाहिए…” चन्दा भाभी ने मुस्कराते हुए गुड्डी से कहा.
” और क्या ढीली छोड़ दूं तो पता नहीं क्या…” और मैं भी उन दोनों के साथ मुस्करा रहा था. तब तक भाभी आ गयीं और गुड्डी ने मुझे आँख से इशारा किया. मैं खुद ही बोला..
“.भाभी ठीक ही है…आप लोग चली जाएँगी तभी जाउंगा..वैसे भी वहां पहुँचने में भी टाइम लगेगा और फिर आप लोगों से कब मुलाकात होगी…”
चन्दा भाभी तो समझ ही रही थीं की …और मंद मंद मुस्करा रही थीं..लेकिन भाभी मजाक के मूड में ही थीं वो बोलीं,
” अरे साफ साफ ये क्यों नहीं कहते की पिछवाड़े के खतरे का ख़याल आ गया…ठीक है बचा के रखना चाहिए..सावधानी हटी दुर्घटना घटी.”
” अरे इसमें ऐसे डरने की क्या बात है देवर जी, ऐसा तो नहीं है की अब तक आपकी कुँवारी बची होगी…ऐसे चिकने नमकीन लौंडे को तो …वैसे भी ये कहा है ना की मजा मिले पैसा मिले और …” गुड्डी मैदान में आ गयी मेरी ओर से, ” इसलिए तो बिचारे रुक नहीं रहे थे…आप लोग भी ना…”
” बड़ा बिचारे की ओर से बोल रही हो. अरे होली में ससुराल आये हैं और बिना डलवाए गए तो नाक ना कट जायेगी…अरे हम लोग तो आज जा ही रहे हैं वरना…लेकिन आप लोग ना…” गुड्डी की मम्मी बोलीं. .
” एकदम,” चन्दा भाभी बोलीं. ” आप की ओर से भी और अपनी ओर से भी इनके तो इत्ते रिश्ते हो गए हैं …देवर भी हैं बिन्नो के नंदोई भी…इसलए डलवाने से तो बच नहीं सकते अरे आये ही इसलिये हैं की …क्यों भैया वेसेलिन लगा के आये हो या वरना मैं तो सूखे ही डाल दूँगी. और तू किसका साथ देगी अपनी सहेली के यार का …या…” चन्दा भाभी अब गुड्डी से पूछ रही थीं.


गुड्डी खिलखिला के हंस रही थी. और मैं उसी में खो गया था. भाभी किचेन में चली गयी थीं लेकिन बातचीत में शामिल थीं.
” अरे ये भी कोई पूछने की बात है आप लोगों का साथ दूँगी…मैं भी तो ससुराल वाली ही हूँ कोई इनके मायके की थोड़ी…और वैसे भी शर्ट देखिये कीत्ती सफेद पहन के आये हैं इसपे गुलाबी रंग कित्ता खिलेगा. एकदम कोरी है…”

” इनकी बहन की तरह …” चंदा भाभी जोर से हंसी और मुझसे बोलीं, ” लेकिन डरिये मत हम लोग देवर से होली खेलते हैं उसके कपड़ों से थोड़े ही…”

तब तक भाभी की आवाज आई ” अरे मैं थोड़ी गरम गरम पूडियां निकाल दे रहीं हूँ भैया को खिला दो ना…जबसे आये हैं तुम लोग पीछे ही पड़ गयी हो..” चंदा भाभी अंदर किचेन में चली गयीं लेकिन जाने के पहले गुड्डी से बोला..

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